प्रतीकात्मक फोटो
दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कोरोनावायरस का नया C.1.2 वेरिएंट चिंता का कारण बनता जा रहा है. डेल्टा वेरिएंट के कारण कोरोना के केसों में आए उछाल के बीच यह नई चुनौती बनकर सामने आया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जो एंटीबॉडीज, मानव शरीर को प्रोटेक्ट करती हैं, यह वेरिएंट उनको मात दे सकता है.
- इस वेरिएंट के बारे में अभी विस्तृत जानकारी आनी अभी बाकी है. अभी तक के अध्ययन के अनुसार, C.1.2 अधिक संक्रामक हो सकता है और इसने वैक्सीन की 'सुरक्षा' से बचने के संकेत दिए है.
- 24 अगस्त की स्टडी में जानकारी दी गई है कि C.1.2 वेरिएंट उस C.1 से बहुत ज्यादा बदला (म्यूटेट हुआ) है जिसने दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पहली लहर में खासा असर दिखाया था.
- रिसर्च स्पेशलिस्ट रिचर्ड लेसेल्स बताते हैं कि C.1.2 वेरिएंट में डेल्टा की तुलना में वैक्सीन से 'बचने' की अधिक क्षमता हो सकती है.
- इसके म्यूटेशन (बदलाव ) के पैटर्न के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस वेरिएंट के प्रभाव को लेकर चेताया गया है.
- स्टडी में कहा गया है कि C.1.2 lineage (वंश) में म्यूटेशन की दर प्रतिवर्ष 41.8 के आसपास है जो कि बाकी वेरिएंट के म्यूटेशन रेट से लगभग दोगुनी है.
- कोरोनावायरस का C.1.2 वेरिएंट सबसे पहले, मई माह में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था.
- इसके बाद से इसे चीन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड मे भी डिटेक्ट किया गया है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के अनुसार, C.1.2 वेरिएंट फिलहाल बहुत अधिक चिंता का कारण नहीं है.
- न्यूज एजेंसी ANI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि C.1.2 वेरिएंट अभी तक भारत में नहीं पाया गया है.
- दुनिया मे कोरोना के नए-नए वेरियंट के चलते अंतराष्ट्रीय यात्रा की गाइडलाइन में बदलाव किया गया है, इसके तहत यूके समेत 10 देशों से भारत आने वाले यात्रियों को हवाई यात्रा करने के 72 घन्टे पहले RTPCR निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए. इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन , मॉरीशस, न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे भी शामिल हैं.
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