गणतंत्र दिवस परेड के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी इंडियन नेशनल आर्मी पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को मंजूरी नहीं मिलने पर पैदा हुए विवाद के बीच, उनकी बेटी अनीता बोस-फाफ ने सोमवार को कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी की विरासत का राजनीतिक वजहों के लिए अक्सर 'आंशिक रूप से दोहन' किया गया है. उन्होंने कहा कि कोलकाता में 2021 में नेताजी की 125वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत कहीं न कहीं पश्चिम बंगाल के चुनावों से जुड़ी हुई थी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और झांकी को मंजूरी नहीं मिलने पर अफसोस जताया. झांकी में बंगाल के अन्य नायक भी शामिल थे, जिनमें रवींद्रनाथ टैगोर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंदो शामिल हैं.
अनीता बोस-फाफ जर्मनी में रहती हैं. उन्होंने वहीं से टेलीफोन पर पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने इस बारे में सुना है. मुझे नहीं मालूम कि यह किन परिस्थितियों में हुआ और झांकी को क्यों नहीं शामिल किया गया. कुछ कारण होंगे. हम यह कल्पना नहीं कर सकते कि जिस वर्ष मेरे पिता के जन्म के 125 साल पूरे हो रहे हों, उस साल गणतंत्र दिवस समारोह हो रहे हैं और उनकी झांकी शामिल नहीं की गयी है, यह बहुत अजीब लगता है.'
उन्होंने कहा, ‘‘और पिछले साल, जयंती वर्ष का उद्घाटन कोलकाता में सभी जगहों पर बड़े पैमाने पर किया गया, (इसका) बंगाल में चुनाव और चुनावी संभावनाओं से कुछ लेना-देना था. तथ्य यह है कि इस साल कुछ भी नहीं हुआ .... निश्चित रूप से यह मुद्दा उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना पिछले साल था.''
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या राष्ट्रीय नायक की विरासत का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दोहन किया गया है, उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित रूप से और आंशिक रूप से राजनीतिक वजहों से.'' उन्होंने हालांकि, आगे कहा कि वह इसकी आलोचना नहीं करेंगी, क्योंकि राजनीति लोगों से मिलने और संवाद के बारे में है. उन्होंने कहा, ' अगर उस तरह की घटना कई लोगों को जोड़ती है, तो वे ऐसा करेंगे.'
बोस-फाफ ने नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए भारतीय जनता पार्टी सरकार की सराहना की, लेकिन उन्होंने अफसोस जताया कि नेताजी की 125 वीं जयंती मनाने के लिए साल भर चलने वाले भव्य कार्यक्रम की योजना बनाने की खातिर पिछले साल गठित उच्च-स्तरीय समिति ने कभी उनसे संपर्क भी नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस समिति की सदस्य हूं लेकिन मैंने कभी नहीं सुना कि कोई बैठक बुलाई गई है .... या कोई लिखित संचार. जहां तक मुझे पता है, कोई बैठक नहीं हुई. मेरे लिए, यह एक अस्तित्व विहीन समिति है.''
बोस-फाफ ने एक बार फिर भारत सरकार से जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे अवशेष की डीएनए जांच सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया, ताकि नेताजी से जुड़े कई दावों की सच्चाई सामने आ सके. उन्होंने कहा, 'मैंने अवशेषों को भारत ले जाने का प्रयास किया ... लेकिन कई बाधाएं हैं. अब कोविड की स्थिति है. मैं निश्चित रूप से चाहूगी कि इसका हल हो. मैं समझती हूं कि डीएनए परीक्षण किया जाना चाहिए. डीएनए परीक्षण से सच सामने आएगा.''
नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.
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