नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती को इस साल पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित पूरे देश ने नेताजी को इस अवसर पर याद किया. लेकिन अब राष्ट्रपति भवन में लगी एक तस्वीर को लेकर विवाद शुरू हो गया है.राष्ट्रपति भवन में लगाए गए इस चित्र को लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है. कुछ लोग इस तस्वीर को सुभाष चंद्र बोस की जगह एक अभिनेता की तस्वीर बता रहे हैं.
हालांकि बीजेपी सूत्रों ने आरोप को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि यह तस्वीर नेताजी के परिवार द्वारा प्रसिद्ध पद्म श्री पुरस्कार विजेता कलाकार परेश मैती को प्रदान की गई थी, जिन्होंने इस चित्र को चित्रित किया था. सूत्रों ने कहा, "फोटो प्रोसेनजीत की तरह नहीं है. यह एक अनावश्यक विवाद है." यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि परिवार के किस सदस्य ने इस फोटो को प्रदान किया था.बताते चले कि 56 वर्षीय परेश मैती बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले से हैं और वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं.
इस मुद्दे पर नेताजी के भतीजे और भाजपा के सदस्य चंद्र कुमार बोस ने भी ट्वीट कर कहा है कि भारत के माननीय राष्ट्रपति-श्री राम नाथ कोविंद जी द्वारा जिस तस्वीर का उपयोग किया गया है वो नेताजी की मूल तस्वीर पर अधारित एक कलाकार के द्वारा बनाया गया चित्र है.
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चित्र को लेकर सवाल उठाने वालों में तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं. उन्होंने ट्वीट किया: "राम मंदिर को 5 लाख दान करने के बाद, राष्ट्रपति ने प्रसेनजित के चित्र का अनावरण करके नेताजी का सम्मान किया हैं, हालांकि ट्वीट को बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. इसके अलावा भी कई ऐसे ट्वीट सामने आए हैं जिसमें इसे लेकर सवाल उठाए गए हैं.
ट्विटर पर लिखा गया है कि ऐसी हालत है इस देश की. भारत के राष्ट्रपति ने प्रसेनजित चटर्जी के आधिकारिक चित्र का अनावरण किया है राष्ट्रपति भवन में, नेताजी का नहीं. प्रसेनजित चटर्जी ने श्री जीत मुखर्जी निर्देशित फिल्म गुमनामी में नेताजी के रूप में काम किया था. गौरतलब है कि नेताजी के रूप में अपनी भूमिका में, बंगाली फिल्म स्टार प्रोसेनजीत चटर्जी 2019 की फिल्म में काफी समानता रखते हैं और उन्होंने कथित तौर पर अपने परिवर्तन के लिए प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल किया था. ट्विटर पर दावा किया गया है कि राष्ट्रपति भवन में नेताजी के रूप में उनका चित्र बना हुआ है. ट्विटर पर लोगों ने महात्मा गांधी के रूप में बेन किंग्सले के चित्र और विवेक ओबेरॉय को नरेंद्र मोदी के रूप में रखने की बात लिखी है.
वहीं श्रीजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर एक फोटो पोस्ट किया है और कहा है कि इसी तस्वीर के आधार पर वो तस्वीर बनाई गयी है.
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बताते चले कि इससे पहले 23 जनवरी को कोलकाता में हुए कार्यक्रम में ममता बनर्जी नाराज हो गयी थी. ममता बनर्जी ने भाषण में कहा था, "मुझे लगता है कि सरकार के प्रोग्राम का कोई डिग्निटी होना चाहिए. ये गर्वमेंट का प्रोग्राम है कोई पॉलिटिकल पार्टी का प्रोग्राम नहीं है. ये सभी पॉलिटिकल पार्टी और पब्लिक का प्रोग्राम है. मैं आभारी हूं प्रधानमंत्री जी का, कल्चरल मिनिस्ट्री का कि कोलकाता में यह प्रोग्राम बनाया. लेकिन किसी को निमंत्रित करके उसको बेज्जत करना ये आपको शोभा नहीं देता. मैं कुछ नहीं कहने जा रही हूं. जय हिंद, जय बांग्ला." समारोह में साफ देखा गया कि जब ममता बनर्जी बोलने के लिए उठ खड़ी हुईं तो भीड़ ने नारेबाजी की, आयोजक उन्हें बार-बार शांत रहने के लिए कहते रहे. जब ममता के बोलने की बारी आई तो नारेबाजी करने वाली भीड़ पर उनका गुस्सा फूटा. उन्होंने लोगों को सरकारी कार्यक्रम की मर्यादा रखने की नसीहत दी थी.