NEET-UG पेपर लीक मामले में आज बड़ा फैसला आ सकता है. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में CJI डीवाई चेंद्रचूड़ की बेंच फिलहाल सुनवाई कर रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि सुनवाई पूरी होने के बाद CJI की बेंच इस मामले में आज ही कोई बड़ा फैसला सुना सकती है. सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में चीज जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जेबी पारदीवाला और जिस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. कोर्ट यह फैसला CBI की उस रिपोर्ट के आधार पर सुनाने जा रहा है, जिसे सीबीआई ने इस मामले की जांच करने के बाद कुछ दिन पहले ही कोर्ट में दाखिल किया था. आज हम आपको सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में शामिल तीनों जजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाने वाले हैं.
NEET-UG मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने जा रहे जजों में सबसे पहला नाम आता है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का. डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं. उन्होंने बतौर सीजेआई 9 नवंबर 2022 को शपथ ली थी. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने से पहले वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी रहे हैं. सीजेआई बनने पहले डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज 2016 से ही अपनी सेवाएं दे रहे थे.
जस्टिस जेबी पारदीवाला
इस बेंच के दूसरे जज हैं जस्टिस पारदीवाला. पारदीवाला सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों में से एक हैं. जस्टिस पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 में हुआ था. उनकी पढ़ाई लिखाई सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में हुई. इसके बाद वह 1985 में जेपी आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली और वर्ष 1989 में वलसाड में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की. 1990 में वह गुजरात हाईकोर्ट आ गए. जस्टिस पारदीवाला को वर्ष 2002 में स्टैंडिंग काउंसिल नियुक्त किया गया. इस दौरान जस्टिस पारदीवाला को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की डिसीप्लिनरी कमेटी का नामांकित सदस्य भी नियुक्त किया गया.
जस्टिस मनोज मिश्रा
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा NEET-UG पेपर लीक मामले की सुनवाई के लिए बनाई गई बेंच में तीसरे जज हैं. जस्टिस मनोज मिश्रा का जन्म 2 1965 को हुआ था. उन्होंने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी. एक अधिवक्ता के रूप में न्यायमूर्ति मिश्रा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुख्य रूप से दीवानी, आपराधिक, राजस्व और संवैधानिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया. 23 साल की प्रैक्टिस के बाद जस्टिस मिश्रा 21 नवंबर 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज निुक्त किया गया है. मनोज मिश्रा को 6 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है.