लातूर पेपर लीक केस में आरोपी के शिक्षकों के मोबाइल फोन गैलरी में लातूर के कुछ बच्चों के पटना का एडमिट कार्ड होने से शक पैदा हो गया है. अब सवाल ये है कि आरोपियों की योजना कहीं परिक्षा केंद्र में नकल करवाने की तो नहीं थी? NEET कोचिंग का केंद्र कहे जाने वाले लातूर के शिक्षको और काउंसिलर का दावा हैं कि ऐसा पहले भी होता रहा है, जिसकी जानकारी उन्होंने ईमेल से NTA को भी दी थी. लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
लातूर NEET पेपर लीक केस में इस खुलासे से परीक्षा केंद्रों के जरिए गड़बड़ी का शक है. लातूर पैटर्न की शुरुआत करने वाले कॉलेज के CET सेल के डायरेक्टर दिलीप देशमुख और NEET परिक्षा के काउंसिलर सचिन बांगड़ का दावा है कि ऐसा पहले भी हुआ है. साल 2023 में लातूर और बीड के कुछ बच्चों ने कर्नाटक के बेलगाम में जाकर NEET की परीक्षा दी थी. दोनों का दावा है कि जब उन्होंने उन बच्चों के साल 2022 के रिजल्ट से तुलना की तो उसमे बहुत अंतर था.
काउंसिलर सचिन बांगड़ का दावा है कि इस तरह की गड़बड़ी पाने के बाद उन्होंने NTA को ईमेल भी लिखा था. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. लातूर NEET पेपर लीक केस में भी कुछ इसी तरह की गड़बड़ी का अंदेशा है. मामले में अभी दो शिक्षक गिरफ्तार हो चुके हैंय लेकिन इरन्ना कोनगलवार और गंगाधर अब भी फरार हैं.
इधर, मामले में सबसे पहले गिरफ्तार आरोपी शिक्षक जलील पठान के बारे मे पता चला है कि दिव्यांग होने के नाते उन्हें प्रमोशन देकर मुख्याध्यापक बनाया गया था. लेकिन अब जानकारी आ रही है कि दिव्यांगता का उनका प्रमाणपत्र फर्जी हो सकता है. जिला परिषद के मुताबिक पेपर लीक मामला आने के पहले ही उसकी शिकायत मिली थी, जिसकी जांच चल रही है. प्रमाणपत्र वेरिफाई करने के लिए संबंधित विभाग में भेजा गया है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि वो असली है या फर्जी.
जानकारी के मुताबिक पुलिस को दोनो आरोपियों के मोबाइल फोन गैलरी से 14 एडमिट कार्ड मिले हैं. पुलिस अब तक 6 अभिभावकों और बच्चो के बयान दर्ज कर चुकी है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामले में कुछ ऐसे लोगों से भी पूछताछ हुई है जिनकी भूमिका संदिग्ध है.