NDTV Battleground: एनडीटीवी का विशेष चुनावी शो "बैटलग्राउंड" पश्चिम बंगाल पहुंचा और वहां के माहौल को समझने की कोशिश की. एनडीटीवी के एडीटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने विशेषज्ञों के एक पैनल के साथ लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर बात की. साथ ही संदेशखाली का चुनाव पर कितना असर है, यह भी जानने की कोशिश की.
पैनल में शामिल राजनीतिक रणनीतिकार अमिताभ तिवारी ने कहा कि हो सकता है संदेशखाली बड़ा मुद्दा चुनाव में बन जाए. यह इस पर डिपेंड करेगा कि भाजपा इस मुद्दे को कैसे उठा पाती है. अगर 2019 का चुनाव देखें तो ममता बनर्जी को महिलाओं के वोट भाजपा के मुकाबले ज्यादा मिले थे. टीएमसी ने महिला वोटरों के मामले में 4 प्रतिशत की लीड भाजपा से ली थी. महिलाओं का हमेशा समर्थन ममता बनर्जी को मिलता रहा है.
रिजू दत्ता ने कहा कि आप सोच सकते हैं किस तरह की साजिश रची जा रही है. संदेशखाली के जरिए टीएमसी को बदनाम करने की साजिश थी. स्टिंग गए वीडियो में गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराने वाली एक संदेशखाली की महिला भी है, जो वीडियो में कहती है कि मुझे कुछ पता नहीं था कि क्या लिखा हुआ है. मेरे को एक पर्चा दिया और मैंने साइन कर दिया. संजय पुगलिया ने जब यह सवाल किया कि क्या संदेशखाली में कुछ भी गड़बड़ी नहीं हुई तो रिजू दत्ता ने कहा कि संदेशखाली में गलती हुई लेकिन यह जमीन विवाद का मुद्दा है. यह टीएमसी का नाम लेकर कुछ लोगों की जमीन छीन ली. भाजपा औरतों के शरीर के पीछे छिपकर राजनीति कर रही है. ऐसी गंदगी संदेशखाली में नहीं हुई.
प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि संदेशखाली की पूरी भूमिका कोर्ट से आई है. कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी. अभी 2 तारीख को सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट जमा की. रिपोर्ट देखकर कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर जो जानकारी मैंने एफिडेविट में दी थी, वहीं बात सीबीआई की जांच रिपोर्ट में भी है. इस घटना से ममता बनर्जी की नारी शक्ति एक्सपोज हो गई है. वह सभी को झूठा बता रही हैं और हर बार वह यही करती हैं. नाबालिगों के साथ कोई घटना होती है तो कहती हैं कि यह तो लव अफेयर था.
सीएसडीएस के चीफ संजय कुमार ने कहा कि संदेशखाली मुद्दा तो है लेकिन पूरे राज्य में इसका बड़ा असर नहीं है. खासकर गरीबों में और यही टीएमसी का मुख्य वोट बैंक है. यह मुद्दा शहरी और अमीर लोगों के बीच ज्यादा है और इसका वोट से ज्यादा लेना-देना नहीं है.