NCERT ने खालिस्तान और सिखों के लिए अलग देश, जैसे शब्दों को CBSE के 12वीं की किताब से हटा दिया है. ये फैसला सिख समुदाय की तरफ से आ रही आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए लिया है. NCERT के इस फैसले के बाद अब 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान की किताब से इन दोनों भागों को हटा दिया जाएगा. NCERT ने अपने इस फैसले को लेकर कहा कि किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमनें एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी. उनसे मिले सुझाव के बाद ही हमने ये फैसला किया है.
NCERT ने जारी किया बयान
NCERT ने खालिस्तान और सिखों के लिए अलग राष्ट की मांग जैसे भागों को किताब से हटाए जाने को लेकर एक बयान भी जारी किया. NCERT ने कहा कि उप-शीर्षक 'पंजाब' के तहत तीसरे पैराग्राफ के अंतिम वाक्य से लाइन '... लेकिन इसे एक अलग सिख राष्ट्र के लिए एक दलील के रूप में भी समझा जा सकता है' को हटा दिया गया है. इस पंक्ति के ठीक पहले, दिए गए बयान को 'भारत में संघवाद को मजबूत करने के लिए संकल्प एक दलील थी' के रूप में फिर से लिखा गया है. उसी खंड (उप-शीर्षक 'पंजाब') में, चौथे पैराग्राफ के अंतिम वाक्य से, '... और खालिस्तान का निर्माण' हटा दिया गया है.
NCERT ने कक्षा 12वीं के राजनीति विज्ञान के पाठ्यपुस्तक में बदलाव करने के बाद अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.
सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप
SGPC के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने पिछले महीने कहा था कि नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के बारे में अपनी किताब 'पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस' के चैप्टर -8 में 'रीजनल एस्पिरेशंस' नाम से दर्ज एक 'भ्रामक जानकारी' पेश की है. इसने समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
1973 के प्रस्ताव का भी जिक्र
1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने के बारे में बताता है. धामी ने कहा था कि सिखों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित करना बिल्कुल भी उचित नहीं है, इसलिए NCERT को इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटा देना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी सूचनाओं को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू का ध्यान रखा गया है.