Hidma Killed: गृहमंत्री अमित शाह की डेडलाइन से 12 दिन पहले ही मारा गया नक्‍सली हिडमा

नक्‍सली कमांडर मांडवी हिडमा के मारे जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शीर्ष अधिकारियों से बात की और उन्‍हें बधाई देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया.

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  • नक्‍सली कमांडर माड़वी हिडमा को सुरक्षा बलों ने 18 नवंबर को छत्तीसगढ़ के पुल्लागंडी जंगलों में मार गिराया
  • अमित शाह ने नक्सली हिडमा को 30 नवंबर तक खत्म करने की डेडलाइन दी थी, ऑपरेशन 12 दिन पहले ही पूरा हो गया
  • माड़वी हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की एक बटालियन का कमांडर और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था
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कुख्‍यात नक्‍सली कमांडर माड़वी हिडमा के लिए 18 नवंबर की सुबह, उसके जीवन की सांझ साबित हुई. सुरक्षा बलों ने नक्‍सल विरोधी ऑपरेशन में उसे मार गिराया. कहा जा रहा है कि हिडमा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों को 30 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई थी. सुरक्षाबलों ने डेडलाइन से 12 दिन पहले ही नक्‍सली कमांडर हिडमा को मार गिराया.

दंतेवाड़ा और सुकमा हमले समेत सुरक्षा बलों पर सशस्त्र हमलों के कईमें वांछित शीर्ष नक्सली कैडर मांडवी हिडमा के मारे जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शीर्ष अधिकारियों से बात की और उन्‍हें बधाई देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया. समाचार एजेंसी ANI और PTI ने उच्‍च अधिकारिक सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी.

सुरक्षा समीक्षा बैठक में तय की गई थी डेडलाइन

PTI ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि खूंखार माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को खत्म करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने 30 नवंबर की समय सीमा तय की थी, जिससे 12 दिन पहले ही मार गिराया. सुरक्षा बलों ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित घने पुल्लागंडी के जंगलों में 44 वर्षीय नक्सली नेता को मार गिराया. गृह मंत्री के आदेश से अवगत एक सूत्र ने बताया, 'केंद्रीय गृह मंत्री ने देश से माओवाद की समस्या के उन्मूलन के लिए 31 मार्च 2026 की समयसीमा तय की है. एक सुरक्षा समीक्षा बैठक में शाह ने नक्सल विरोधी अभियानों में लगे शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को 30 नवंबर से पहले हिडमा को खत्म करने को कहा था और इस समयसीमा से 12 दिन पहले ही उसे मार गिराया गया.'

31 मार्च की डेडलाइन से पहले खत्‍म होगा नक्‍सलवाद

सूत्रों ने यह भी कहा कि जिस तरह से नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, उससे गृह मंत्री द्वारा निर्धारित अगले साल मार्च की समयसीमा से पहले ही वामपंथी उग्रवाद खत्म हो जाने की संभावना है. बता दें कि सुकमा में 1981 में जन्मा हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की एक बटालियन का कमांडर और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था.

ऐसा माना जाता है कि वह बस्तर से इस प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा बनने वाला एकमात्र आदिवासी सदस्य था. 26 से ज़्यादा बड़े नक्सली हमलों में उसकी सीधी संलिप्तता पाई गई थी जिससे वह भारत के सबसे खूंखार नक्सलियों में से एक बन गया था.

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