'शिवसेना में उद्धव, कांग्रेस में अशोक चव्हाण को छोड़ सब मेरे दोस्त', ऐसा है नारायण राणे का सियासी सफर

नारायण राणे किशोरावस्था में ही शिवसेना से जुड़ गए थे. बालासाहेब ठाकरे ने सन 1999 में उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया था.

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बाल ठाकरे ने नारायण राणे को पहुंचाया था CM की कुर्सी तक (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा कोटे से राज्यसभा सांसद नारायण राणे (Narayan Rane) शिवसेना और कांग्रेस (Congress) में लंबे समय तक रह चुके हैं. दोनों दलों में आज भी वरिष्ठ नेताओं से लेकर विधायकों तक से राणे के निजी रिश्ते हैं. कांग्रेस के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध माने जाते हैं.

राणे सार्वजनिक रूप से कहते रहे हैं, "मेरे दोस्त हर जगह हैं. शिवसेना में उद्धव और कांग्रेस में अशोक चव्हाण को छोड़कर सब मेरे दोस्त हैं." यह चर्चित बयान उन्होंने वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़ते वक्त दिया था. वर्ष 2018 में गठबंधन सहयोगी शिवसेना के भारी विरोध के बावजूद भाजपा ने उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था. वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का विलय कर देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें भाजपा में शामिल किया था.

नारायण राणे किशोरावस्था में ही शिवसेना से जुड़ गए थे. बालासाहेब ठाकरे ने सन 1999 में उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया था. उस समय बालासाहेब ने मनोहर जोशी के स्थान पर उनकी ताजपोशी की थी. मगर, नारायण राणे की बालासाहेब के बेटे उद्धव ठाकरे से कभी पटरी नहीं खाई. नारायण राणे उद्धव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते रहे और आखिरकार शिवसेना ने तीन जुलाई, 2005 को उन्हें पार्टी से निकाल दिया.

राणे इसके बाद कांग्रेस में शामिल होकर पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में राजस्व मंत्री बने. वर्ष 2008 में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बोलने पर उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया. बाद में माफी मांगने पर पार्टी में उनकी वापसी हुई.

सितंबर, 2017 में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नारायण राणे ने कांग्रेस छोड़कर 'महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष' नाम से अपनी पार्टी बनाई. नजदीकियों के कारण भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा. शिवसेना के कारण राणे की पार्टी का भाजपा में विलय कुछ समय तक लटका रहा, मगर देवेंद्र फडणवीस की कोशिशों से आखिरकार विधानसभा चुनाव के दौरान 15 अक्टूबर को राणे भाजपा में शामिल होने में सफल रहे.

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