नारदा स्टिंग केस (Narda Sting Case) मामले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी कैनिबेट के दो मंत्रियों और दो अन्य तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेताओं को गिरफ्तारी और करीब सात घंटे के नाटकीयता से भरे घटनाक्रम के बाद जमानत मिल गई. हालांकि देर शाम कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन आरोपियों की जमानत पर रोक लगा दी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने चारों नेताओं की जमानत पर जमानत पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिन्हें सीबीआई ने सोमवार को गिरफ्तार किया है. हाईकोर्ट इस मामले में 19 मई को सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि बंगाल सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी (Bengal Ministers Firhad Hakim and Subrata Mukherjee) को नारद रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने सोमवार सुबह गिरफ्तार किया था.
इन चारों आरोपियों की जमानत के खिलाफ सीबीआई हाईकोर्ट पहुंची थी. जांच एजेंसी ने सीबीआई कार्यालय के बाहर टीएमसी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए केस को बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग भी की है. इन नेताओं को मामले की अगली सुनवाई तक जेल में रखा जाएगा. देर रात इन सभी को प्रेसिडेंसी जेल ले जाया गया. इससे पहले इन आरोपियों को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया गया है.इस गिरफ्तारी के मामले में सीबीआई (CBI) और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव की स्थिति निर्मित हो गई थी और सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) कोलकाता स्थित सीबीआई ऑफिस पहुंच गई थीं.
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इन दोनों मंत्रियेां के अलावा टीएमसी के विधायक मदन मित्रा (TMC MLA Madan Mitra) और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता सोवन चटर्जी को भी अरेस्ट किया गया था. सोवन ने BJP ज्वॉइन की थी लेकिन बाद में यह पार्टी भी छोड़ दी थी. बंगाल की सीएम ममता ने निजाम प्लेस स्थित सीबीआई ऑफिस पर छह घंटे से अधिक के अपने धरने के दौरान कहा था, 'जिस तरीके से प्रक्रिया का पालन किए बगैर इन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, सीबीआई को मुझे भी गिरफ्तार करना होगा.'
गौरतलब है कि नारद स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था, हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे. धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.
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