Nakur Assembly Seat: 50% मुस्लिम मतदाता, 64 साल में पहली बार खिला था कमल, अब क्या है हाल?

नकुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. 64 साल के इतिहास में पहली बार 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी. उस समय देश में मोदी लहर देखने को मिल रही थी. ये सीट इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है.

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नकुर, यूपी:

नकुर विधानसभा ( Nakur Assembly Seat} सीट भाजपा (BJP) के लिए एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. 64 साल के इतिहास में पहली बार 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में भाजपा की जीत हुई थी. उस समय देश में मोदी लहर देखने को मिल रही थी. ये सीट इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यहां से 2017 में धरम सिंह सैनी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था. चुनाव जीतने के बाद धरम सिंह सैनी को योगी सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया था. मगर वर्तमान में धरम सिंह सैनी भाजपा छोड़ अखिलेश यादव की पार्टी सपा से जुड़ गए हैं.

नकुर विधानसभा का इतिहास  वर्तमान स्थिति

वर्तमान में नकुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 48 हज़ार मतदाता हैं, जिसमें 1 लाख 84 हज़ार 354 पुरूष वोटर्स हैं, वहीं 1 लाख 64 हज़ार 352 महिला मतदाता हैं. यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. 1 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा वोटर्स मुस्लिम हैं, वहीं 50 हज़ार एससी वोटर्स हैं. गुर्जर मतदाता की बात करें तो 40 हज़ार मतदाता हैं, वहीं 35 हज़ार सैनी मतदाता हैं. 25000 कश्यप मतदाता हैं. इनके अलावा इस क्षेत्र में 12 हज़ार जाट, 12 हज़ार ब्राह्मण, 9 हज़ार ठाकुर और 8 हज़ार वैश्य मतदाता हैं.

नकुर विधानसभा की वर्तमान स्थिति

इतिहास की बात करें तो नकुर विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 1952 में कांग्रेस के दाता राम यहां से विधायक निर्वाचित हुए थे. 1957 में भी दाता राम ही चुने गए. 1962 में कांग्रेस के यशपाल सिंह चौधरी ने यहां से जीत दर्ज की थी. 1967 और 1969 में निर्दलिय विधायकों की जीत हुई है. 1974 और 1977 में कांग्रेस के यशपाल चौधरी इस क्षेत्र से विधायक बने. 1980 में इस सीट पर यशपाल सिंह चौधरी लगातार तीसरी बार विधायक बने. 1985 में रालोद के रामशरण दास इस क्षेत्र से विधायक बने. 1989 और 1991 में नकुर विधानसभा क्षेत्र से कुंवर पाल सिंह का इस क्षेत्र में डंका बजा.  1993 में 12वीं विधानसभा चुनाव में यशपाल सिंह चौधरी को मौका मिला. 1996 में निर्दलीय विधायक कुंवरपाल सिंह बने. 2000 में हुए उपचुनाव में रालोद के प्रदीप चौधरी इस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए. 2002 में 14वीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुशील चौधरी विधायक बने. 

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2007 में 15वीं विधानसभा चुनाव में बसपा के महिपाल सिंह निर्वाचित हुए. 2012 में धरम सिंह सैनी को यहां की जनता ने विधायक चुना. उस समय धरम सिंह सैनी बसपा में थे. 2017 में फिर जनता ने धरम सिंह सैनी पर भरोसा जताया. 2017 में इतिहास में वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था. धरम सिंह सैनी ने भाजपा ज्वाइन कर चुनाव लड़ा और विजयी हुए. मामला, 2022 का है... क्योंकि 64 साल में पहली बार भाजपा का कमल खिला था, मगर क्या फिर से कमल खिलेगा?

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क्यों छोड़ा भाजपा?

नकुर विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर मुस्लिम और दलित वोटर्स हैं. ऐसे में अपनी जीत पक्की करने के लिए धरम सिंह ने भाजपा छोड़ा. इस सीट की खासियत है कि जीत उसी की होगी, जिसके साथ अनुसूचित जाति-मुस्लिम मतदाता होंगे. 2017 का चुनाव धरम सिंह सैनी ने भाजपा को अपनी बदौलत जितवाया था. इस कारण भाजपा ने इस सीट पर इतिहास भी रच दिया है.

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