नगालैंड (Nagaland) में विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA ) को हटाने की मांग पर विचार करने के लिए एक पैनल गठित किया जाएगा, जो इस पर चर्चा कोई फैसला लेगा. राज्य के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के तीन दिन बाद रविवार को ट्वीट कर ये जानकारी दी. नगालैंड के मोन जिले में सेना के एक ऑपरेशन में हुए चूक के बाद राज्य से अफस्पा हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. मोन जिले में सेना के एक ऑपरेशन के दौरान 8 बेकसूर ग्रामीणों की मौत हो गई थी. सेना पर निहत्थे ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने का
आरोप है.
इस हमले के बाद ग्रामीणों के हिंसक विरोध के दौरान भी छह प्रदर्शनकारी मारे गए थे, जबकि एक जवान की मौत हो गई थी. नगालैंड विधानसभा में पिछले हफ्ते एकमत से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अफस्पा हटाने की मांग की गई थी. साथ ही पांच सूत्रीय मांगें केंद्र सरकार से की गई थीं. इसमें नगालैंड ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वोत्तर से अफस्पा हटाने की मांग की गई थी. गौरतलब है कि अफस्पा के तहत सुरक्षाबलों को कई तरह के विशेषाधिकार दिए गए हैं.
इसमें अभियानों के दौरान किसी भी कार्रवाई को लेकर छूट भी शामिल है. लेकिन मोन जिले के ओटिंग गांव में ऑपरेशन में हुई चूक के बाद अफस्पा के खिलाफ सुर फिर तेज हो गया है इसको लेकर नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई इलाकों में बड़े विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं. सीएम नेफियू रियो ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर हमारी बातों को गंभीरता से सुना. राज्य सरकार समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील करती है.
इस बैठक के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी मौजूद थे. सरमा पूर्वोत्तर में बीजेपी के अहम रणनीतिकार भी हैं. अफस्पा हटाने की मांग पर विचार करने वाले समूह में केंद्र और राज्य सरकार के साथ नगालैंड पुलिस के अधिकारी भी होंगे. यह कमेटी 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी. इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अफस्पा को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा.