एनसीपी नेता शरद पवार के फैसले पर MVA नेताओं ने जताई हैरानी

राज्यसभा के सदस्य एवं शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा कि पवार राजनीति से सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पवार जैसे नेता राजनीति या सामाजिक कार्यों से कभी संन्यास नहीं लेते."

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पुणे:

महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के शरद पवार के फैसले पर मंगलवार को हैरानी जताई और कहा कि इस समय उनके मार्गदर्शन की जरूरत है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार की 2019 में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना का एमवीए गठबंधन बनाने में अहम भूमिका रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि पवार को ऐसे समय में इस्तीफा नहीं देना चाहिए, जब एक ‘‘नया स्वतंत्रता संग्राम'' जारी है.

उन्होंने कहा, ‘‘शरद पवार की मौजूदगी की ऐसे समय में असाधारण महत्ता है, जब देश में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए स्वतंत्रता की नयी लड़ाई जारी है और ऐसे हालात में पवार को इस्तीफा नहीं देना चाहिए.'' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘कई पार्टी कार्यकर्ता और नेता उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहे हैं और हमें अंतिम परिणाम का इंतजार करना होगा.''

राज्यसभा के सदस्य एवं शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा कि पवार राजनीति से सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पवार जैसे नेता राजनीति या सामाजिक कार्यों से कभी संन्यास नहीं लेते. यह घटनाक्रम उनकी पार्टी के आंतरिक मामले से संबंधित है और इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है.'' राउत ने कहा कि देश और राज्य को उनके मार्गदर्शन एवं नेतृत्व की आवश्यकता है.

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उन्होंने कहा कि ‘‘कुछ हालिया घटनाक्रम'' के मद्देनजर ‘‘यह (पवार का फैसला) अनपेक्षित नहीं था.'' राउत ने पवार के इस्तीफे की तुलना शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के इसी तरह के कदम से की. राउत ने ट्वीट किया, ‘‘गंदी राजनीति और आरोपों से तंग आकर बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. ऐसा लगता है कि इतिहास ने खुद को दोहराया है... लेकिन शिवसैनिकों के प्यार के कारण उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा... बालासाहेब की तरह, पवार साहब भी राज्य की राजनीति की आत्मा हैं.' शिवसेना के नेता चंद्रकांत खैरे ने भी ठाकरे के इस्तीफे के प्रकरण को याद करते हुए कहा कि पवार का फैसला ‘‘बिल्कुल अप्रत्याशित'' है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि यह राकांपा का आंतरिक मामला है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से कहूंगा कि पवार एक अनुभवी नेता हैं और ऐसे समय में उनकी घोषणा सुनकर दुख हुआ जब मौजूदा राजनीतिक स्थिति को संभालने के लिए उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता है.'' भारतीय शेतकरी कामगार पक्ष के दिवंगत नेता एन डी पाटिल की पत्नी और पवार की बहन सरोज पाटिल ने कहा कि यह फैसला सभी के लिए एक बड़ा झटका है.

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उन्होंने कहा, ‘‘लोग रो रहे हैं..उन्होंने ऐसे समय में इस फैसले की घोषणा की है, जब अराजकतावाद और चिंता का माहौल है, जब यह सवाल पूछा जा रहा है कि लोकतंत्र जीवित रहेगा या नहीं, जब समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही है.'' पाटिल ने कहा कि पवार का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है और वह वैकल्पिक नेतृत्व बनाना चाहते हैं. पाटिल ने कहा, ‘‘यह तर्क भी सही है, लेकिन उन्हें पद छोड़ने से पहले नेतृत्व तैयार करना चाहिए.'' राकांपा विधान परिषद सदस्य सतीश चव्हाण ने कहा कि उन्हें लगता है कि पवार अपने फैसले पर फिर से विचार करेंगे.महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता और शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि पवार और राकांपा दो अलग चीजें नहीं हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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