लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अब संसद की तरह नगरपालिकाओं में भी प्रश्नकाल और शून्यकाल की व्यवस्था होनी चाहिए. वहां पर हर समस्या पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए और जवाबदेही भी सुनिश्चित होनी चा. गुरुग्राम के मानेसर में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के सभापतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी निकाय के सभापतियों का यह सम्मेलन लोकतंत्र को मजबूत करने का मंच है.
लोकतंत्र को जड़ों तक पहुंचाने में नगरीय निकायों की भूमिका सबसे अहम है. नगरीय निकाय लोकतंत्र की असली ताकत हैं. इनकी जिम्मेदारी है कि हर नागरिक तक लोकतंत्र के आदर्श पहुंचे. लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सदन में संवाद, सहमति और समाधान ही लोकतांत्रिक परंपरा को जीवित रखते हैं. नगरपालिकाओं में भी ऐसी आदर्श कार्यशैली को अपनाना होगा. उन्होनें कहा कि हमें हर शहरी मुद्दे को जनआंदोलन में बदलना होगा. जैसे स्वच्छता आंदोलन बना, वैसे ही हर विषय में जनता की भागीदारी जरूरी है. ओम बिरला ने जोर दिया कि लोकतंत्र की पद्धतियों को सरल और आकर्षक बनाना होगा ताकि गांव से शहर तक लोग लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़े रहें.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जैसे संसद में व्यवधान कम हुआ है, वैसे ही नगरपालिकाओं में भी सदन सुचारू रूप से चलें. हंगामा लोकतंत्र की आदर्श परंपरा नहीं है. हर राजनीतिक दल को सदन में रचनात्मक चर्चा में सहयोग करना चाहिए. यह भी ध्यान देना जरूरी है कि नगर सभाओं की बैठक समय पर समय पर होती रहें, सभी मिलकर नगर की समस्याओं पर सकारात्मक बहस करें. लोकसभा अध्यक्ष के मुताबिक- सदन से समाधान तक की यात्रा जनता के हित में होनी चाहिए. हमें हर मुद्दे पर ठोस कार्रवाई और समीक्षा करनी होगी तभी हम जनता का विश्वास जीत पाएंगे. बिरला ने ये भी याद दिलाया कि पहले ना अदालत थे और ना थाने थे तब लोग शहरी समिति और ग्राम पंचायत मे चर्चा के बाद सब उसकी बात मानते हैं. अगर अब भी नगरीय सभाओं को भी एक आदर्श तरीके से चलाने की कोशिश होगी तो वह सही मायनें जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे.