शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (SEBI) की पूर्व चीफ माधबी पुरी बुच सहित 5 अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है. यह आदेश मुंबई स्थित विशेष ACB अदालत ने दी है. शनिवार को एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने अपने आदेश में कहा, “पहली नजर में विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.” मुंबई एसीबी कोर्ट के इस आदेश पर सेबी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. SEBI ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा- ‘वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा. सेबी सभी मामलों में उचित विनियामक का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.'
दरअसल शेयर बाजार धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में शनिवार को मुंबई स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एक विशेष अदालत ने सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच सहित 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है.
बुच के अलावा इन अधिकारियों पर FIR दर्ज करने का आदेश
अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगा और 30 दिनों के भीतर मामले की रिपोर्ट मांगी गई है. बुच के अलावा जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें BSE के प्रबंध निदेशक और CEO सुंदररामन राममूर्ति, तत्कालीन चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल के साथ-साथ SEBI के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं.
सेबी ने कहा- हमारे तथ्यों को देखे बिना आवेदन को दी अनुमति
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए SEBI ने एक बयान में कहा, “सेबी की पूर्व चेयरपर्सन, तीन वर्तमान पूर्णकालिक सदस्यों और BSE के दो अधिकारियों के खिलाफ ACB अदालत, मुंबई के समक्ष एक विविध आवेदन दायर किया गया था. हालांकि, ये अधिकारी प्रासंगिक समय पर अपने संबंधित पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना कोई नोटिस जारी किए या सेबी को तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का कोई अवसर दिए बिना आवेदन को अनुमति दे दी.”
आवेदक आदतन मुकदमाकर्ता, कोर्ट खारिज कर चुकी कई आवेदनः सेबी
सेबी के बयान में आगे कहा, “आवेदक एक आदतन मुकदमाकर्ता है, जिसके पिछले आवेदनों को अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था, और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया गया था. शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव एक मीडिया रिपोर्टर हैं. उसने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल है."
शिकायतकर्ता ने सेबी के अधिकारियों पर क्या आरोप लगाए हैं
शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव का दावा है कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे. बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया. साथ ही निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता खोला. उसने आगे कहा कि कई बार पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.