MP में व्यवसायी ने पत्नी के साथ की खुदकुशी, नोट में ED और BJP नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप

कांग्रेस ने दावा किया है कि परमार और उनकी पत्नी पार्टी के समर्थक थे और ईडी ने उनके राजनीतिक झुकाव को लेकर उन्हें परेशान किया. दंपति के बच्चों ने गांधी की 'भारत जोड़ो (न्याय) यात्रा' के दौरान उन्हें अपनी गुल्लक भेंट की थी.

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भोपाल:

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक व्यवसायी और उनकी पत्नी के कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या करने के बाद बरामद सुसाइड नोट पर कांग्रेस और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है. सोशल मीडिया पर सामने आए कथित सुसाइड नोट में व्यवसायी मनोज परमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं से अपने बच्चों को अकेला न छोड़ने का आग्रह किया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा भाजपा नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप लगाया.

कांग्रेस ने दावा किया है कि परमार और उनकी पत्नी पार्टी के समर्थक थे और ईडी ने उनके राजनीतिक झुकाव को लेकर उन्हें परेशान किया. दंपति के बच्चों ने गांधी की 'भारत जोड़ो (न्याय) यात्रा' के दौरान उन्हें अपनी गुल्लक भेंट की थी.अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीओपी) आकाश अमलकर ने कहा कि पुलिस को मिला सुसाइड नोट एक अर्जी के रूप में है. उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य अभी शोक में हैं इसलिए पुलिस ने उनके बयान दर्ज नहीं किए हैं.

अमलकर ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा कि वह सुसाइड नोट के बारे में अधिक जानकारी नहीं दे सकते, क्योंकि जांच जारी है.परमार और उनकी पत्नी नेहा शुक्रवार सुबह सीहोर जिले के आष्टा कस्बे में अपने घर में लटके पाए गए थे.सुसाइड नोट में भारत की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य को संबोधित किया गया है. इस नोट में परमार ने गांधी से उनके परिवार का ख्याल रखने का आग्रह किया है.

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सुसाइड नोट में गांधी और कांग्रेस नेताओं के जिक्र के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ‘पीटीआई- भाषा' से कहा, 'कांग्रेस जनता की पार्टी है. हम उनका ख्याल रखेंगे. यही वजह है कि मैं कल वहां गया था.'

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पटवारी ने आरोप लगाया कि परमार दंपति की मौत आत्महत्या का मामला नहीं बल्कि राज्य प्रायोजित हत्या है, क्योंकि ईडी का इस्तेमाल नेताओं को परेशान करने के लिए किया जा रहा है ताकि वे भाजपा में शामिल हो जाएं.उन्होंने दावा किया कि ईडी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा परेशान किए जाने के बाद कई नेता भाजपा में शामिल हो गए.

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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शनिवार को ‘एक्स' पर एक पोस्ट में दावा किया कि परमार ने अपनी पत्नी के साथ आत्महत्या कर ली क्योंकि उन्हें भाजपा सरकार और ईडी अधिकारियों द्वारा परेशान किया गया था. उन्होंने लिखा, 'मृतक का एकमात्र अपराध यह था कि हमारे नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान, उनके बच्चों ने उन्हें गुल्लक भेंट करके यात्रा का समर्थन किया था.'

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कमलनाथ ने कहा कि मृतक के सुसाइड नोट में ईडी द्वारा परेशान किए जाने और भाजपा में शामिल होने के दबाव का जिक्र है. उन्होंने कहा कि पूरा मामला राजनीतिक कारणों से एक व्यवसायी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने से कहीं अधिक एक पूरे परिवार को खत्म करने का है. नाथ ने अपने पोस्ट में मुख्यमंत्री मोहन यादव से मामले की कानून के अनुसार जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

इस बीच ईडी के भोपाल क्षेत्रीय अधिकारी ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि एजेंसी ने पांच दिसंबर को राज्य के सीहोर और इंदौर जिलों में चार परिसरों में धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत परमार और अन्य के मामले में तलाशी अभियान चलाया.

ईडी ने कहा कि तलाशी में उन प्रमुख व्यक्तियों के आवासीय परिसर शामिल थे, जो अपराध की आय के लाभार्थी थे या जिन्होंने बैंक धोखाधड़ी में ऐसे व्यक्तियों की सक्रिय रूप से सहायता की या उन्हें बढ़ावा दिया.

ईडी ने दावा किया कि उसने आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं. ईडी ने कहा कि उसने छापेमारी के दौरान कुछ व्यक्तियों के बयान दर्ज किए और 3.5 लाख रुपये की बैंक राशि के लेन देन पर रोक लगा दी. तलाशी के दौरान प्रमुख व्यक्तियों की चार अचल संपत्तियों का विवरण भी मिला.

बयान के अनुसार ईडी ने परमार और पीएनबी के एक वरिष्ठ शाखा प्रबंधक के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की. बयान में कहा गया है कि ईडी की जांच जारी है.

वहीं भाजपा की मध्यप्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कारोबारी की आत्महत्या पर कांग्रेस के आरोपों की निंदा की.

उन्होंने एक बयान में कहा,‘‘ मौत पर राजनीति करना कांग्रेसियों का पुराना चरित्र है. किसी की भी आत्महत्या दुखद है, लेकिन कांग्रेस नेता इसका इस्तेमाल केवल अपने निजी हितों को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं. निराधार आरोप लगाने से पहले सिंह और पटवारी और कांग्रेसियों को इस मामले की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी कर लेनी चाहिए.''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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