"दिल्ली के बारे में सोचें, गठबंधन के बारे में नहीं": INDIA के AAP को समर्थन पर अमित शाह का तंज

अमित शाह ने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है. कोर्ट ने अपने आदेश के पैरा 164 में कहा है कि संसद (केंद्र सरकार) को 239एए के तहत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है.

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गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर हुई चर्चा में विपक्ष को घेरा
नई दिल्ली:

लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल को लेकर गुरुवार को बहस हुई. इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार और INDIA गठबंधन पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग का कोई मामला नहीं है. दिल्ली में जो मामला है वो ये है कि इसके बहाने विजिलेंश विभाग को अपने अधीन लेना है. ताकि उनके भ्रष्टाचार को उजागर नहीं किया जा सके. मैं तो साफ कह रहा हूं कि जो भी पार्टियां इस समय दिल्ली सरकार के साथ खड़ी हैं वो भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े हैं. लेकिन जनता सब देख रही है. मैं इन पार्टियों से कहना चाहता हूं कि आप दिल्ली के बारे में सोचें अपने गठबंधन के बारे में नहीं. क्योंकि चाहे आप कुछ भी कर लें कोई भी गठबंधन बना लें, कोई भी नाम बदल लें लेकिन अगले चुनाव में  नरेंद्र मोदी ही एक बार फिर पीएम बनकर आने वाले हैं. जनता ने अपना मन पहले ही बना लिया है. 

केंद्र सरकार को है विशेष अधिकार

अमित शाह ने कहा कि मैं इस बिल को लेकर पहल आपको कुछ बताना चाहता हूं. दिल्ली को लेकर अनुच्छेद 239 से 242 इकी कार्यनीति को संवधान में वर्णित किया है. अनुच्छेद 239 एक में विशेष प्रावधान किया गया है दिल्ली विधानसभा सहित एख संघ शासित प्रदेश है. तो दिल्ली ना तो पूर्ण राज्य है. ये राजधानी क्षेत्र है इसे ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 239ए में एक विशेष बात की गई है. कहा गया कि भारत को सरकार को इसके बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है. मैं इस सदन का अनुचेछ्द 239एए 3 बी में कहा गया है कि इस संसद को दिल्ली संघ राज्य या इसके किसी भाग के बारे में उससे  संबंधित किसी भी विशष में कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा नहीं बताया गया

गृहमंत्री ने आगे कहा कि कुछ सदस्यों ने ये भी नहीं कहा कि ये सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन करके इसे लाया गया है. मैं विनती करना चाहता हूं कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पहले पूरा पढ़िए. इस आदेश के कुछ हिस्से को सबके सामने लाया गया है. मैं ऐसे नेताओं से भी कहना चाहता हूं कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सदन में कोट करते हैं तो उसके पूरे हिस्से को सदन के सामने रखना चाहिए. कुछ नताओं ने सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक छोटे से हिस्से को ही सबके सामने लाया है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है. कोर्ट ने अपने आदेश के पैरा 164 में कहा है कि संसद को 239एए के तहत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है. अदालत ने ये अपने जजमेंट में ये साफ कर दिया है.

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पंडित नेहरू और अंबेडकर ने किया था इनकार

अमित शाह ने कहा कि दिल्ली विधेयक पर बात करूं तो दिल्ली की स्थापना 1911 में किया गया था. इसको पंजाब प्रांत से अलग करके बनाया गया. आजादी के बाद सीतारमैय्या समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी. हालांकि, यह सिफारिश जब संविधान सभा के सामने आई तो पंडित नेहरू, सरदार पटेल , राजा जी, राजेंद्र प्रसाद और अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया और कहा कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. 

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पहले किसी पार्टी को नहीं हुई कोई दिक्कत

उन्होंने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा ना देना पंडित नेहरू की सिफारिश थी. 1951 में सी एस्टेट एक्ट के तहत दिल्ली को विधानसभा दी गई. लेकिन बाद में दिल्ली की विधानसभा हटाकर उसे संघ राज्य का दर्जा दिया गया. 1991 में 69वां संविधान संसोधन किया गया. औऱ इसे बाद में पारित किया गया. 239एए इसके तहत इस संसद को राजधानी क्षेत्र के किसी भी हिस्से और किसी भी कार्य के लिए संपूर्ण अधिकार केंद्र सरकार को दिया है. 1993 से ये व्यवस्था चली आ रही थी. कभी बीजेपी ने शासन किया तो कभी कांग्रेस ने. कभी झगड़ा नहीं हुआ. क्योंकि किसी की भी मंशा किसी का अधिकार हथियाने की नहीं थी. 2015 में यहां स्थिति बदली और यहां एक ऐसे दल की सरकार आई जिसका मकसद सेवा करना है ही नहीं और सिर्फ झगड़ा करना है. 

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नोटिफिकेशन इसलिए निकाला संसद नहीं चल रही थी

अनेक पार्टियों के मुख्यमंत्री आए, अनेक पार्टियों की सरकारें रही. मगर राष्ट्रीय और जनसेवा करने में किसी पार्टी को दिक्कत नहीं आई. समस्या अधिकारों का नहीं है समस्या ये है कि विजिलेंस को अपने अधीन लेकर बंगला जो बना लिया है उसे छिपाना है. अपने भ्रष्टाचार को छिपाना है. 2015 में दिल्ली राज्य सरकार ने एक सर्कुलर निकाला जिसमें उन्होंने ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार अपने हाथ में ले लिया. बाद में केंद्र सरकार ने फैसला लिया तो उसे हाईकोर्ट लेकर चले गए. फिर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. फिर संविधान पीठ बनी जिसने अभी अभी फैसला दिया. हमे नोटिफिकेश इसलिए निकालना पड़ा क्योंकि उस समय संसद नहीं चल रही थी. 

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गठबंधन को ध्यान में रखकर ना करें राजनीति

अमित शाह ने कहा कि मेरा सभी पक्ष से अनुरोध है कि किसी चुनाव को जीतने के लिए किसी के समर्थन के लिए किसी विधेयक का समर्थन ना करना सही नहीं है. गठबंधन के लिए किसी का समर्थन करना कहीं से भी सही नहीं होता है. मेरी अपील है कि विपक्ष के सदस्यों से की आप दिल्ली की सोचिए. गठबंधन से फायदा नहीं होने वाला है. क्योंकि इसके बाद भी नरेंद्र मोदी ही पीएम बनेंगे. इस गठबंधन के कारण जनता के हितों की बलि मत दीजिए. गठबंधन करके अगर आप सोचते हो कि आप जनता का विश्वास जीत जाओगे तो ये नहीं होने वाला है. एक बार आपको  जनता का साथ मिला था लेकिन आपने सिर्फ भ्रष्टाचार किया. मैं फिर कहता हूं कि आप दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार को अपना समर्थन दे रहो है जिसे पूरा देश देख रहा है. 

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