भारत में भले ही मंकीपॉक्स वायरस का एक भी मामला सामने न आया हो, लेकिन सरकार में इसको लेकर चिंता बढ़ी है. लिहाजा केंद्र सरकार ने इस बीमारी को लेकर एक गाइडलाइन जारी की है. दुनिया भर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक, भारत मे अभी तक एक भी मंकीपॉक्स का केस नहीं है लेकिन जिस तरह से दुनियां के देशों में इसके मामले सामने आ रहे है उससे केंद्र चिंतित है. जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि इंटिग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) के माध्यम से संदिध के नमूने NIV पुणे भेजे जाएंगे.
गाइडलाइन में कहा गया है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी. अगर कोई व्यक्ति मंकीपॉक्स संक्रमित के संपर्क में आ जाता है तो उसे उसी दिन से अगले 21 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा और उसमें देखा जाएगा कि किसी तरह के लक्षण तो नही हैं. संक्रामक अवधि के दौरान किसी मरीज या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों की अवधि के लिए हर रोज निगरानी की जानी चाहिए.
मंकीपॉक्स वायरस अब तक 25 देशों में फैल चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हालांकि कहा है कि वायरस से घबराने का कोई कारण नहीं है. यह गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है. डब्ल्यूएचओ ने का कहना है कि उसे अफ्रीकी देशों से बाहर मंकीपॉक्स के फैलने को लेकर ज्यादा चिंता नहीं है. ऐसी संभावना कम ही है कि यह एक वैश्विक महामारी का रूप लेगा. ब्रिटेन ने पहली बार 7 मई को मंकीपॉक्स के केस की सूचना दी थी. अब तक 25 के करीब देशों में लगभग 400 संदिग्ध और पुष्ट मामले मिले हैं.
डब्ल्यूएचओ के टॉप मंकीपॉक्स एक्सपर्ट रोसमंड लुईस ने कहा कि "हम नहीं जानते" उन्होंने कहा कि इस वायरस के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए तेजी से कदम उठाना होगा. अभी इसे रोकना संभव है. हालांकि हमें नहीं लगता कि इससे डरना चाहिए. विशेषज्ञ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वायरस अचानक उन देशों में क्यों फैलना शुरू हो गया है, जहां यह पहले कभी नहीं देखा गया है. उन लोगों में मंकीपॉक्स अधिक आसानी से फैल रहा है, जिन्हें चेचक का टीका नहीं लगाया गया होगा. चेचक के लिए विकसित टीके भी मंकीपॉक्स को रोकने में लगभग 85 प्रतिशत प्रभावी पाए गए हैं.