"भ्रामक": भारत को 'आंशिक स्वतंत्र' बताने वाली रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया दी

केंद्र सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ पार्टी से अलग कई राज्यों में दूसरे दलों की सरकारें हैं. एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से देश में चुनाव कराए जाते हैं. 

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केंद्र सरकार सभी नागरिकों के साथ समानता से व्यवहार करती है. (प्रतीकात्मक)
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने द फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट (The Freedom House report) में भारत को स्वतंत्र देशों की सूची से नीचे लाकर "आंशिक स्वतंत्र" देशों की श्रेणी में रखने को गलत ठहराया है. सरकार ने रिपोर्ट को भ्रामक, गलत और बेबुनियाद करार दिया है और अमेरिकी थिंकटैंक के आकलन का जोरदार खंडन किया है.

सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ पार्टी से अलग कई राज्यों में दूसरे दलों की सरकारें हैं. एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से देश में चुनाव कराए जाते हैं. केंद्र सरकार सभी नागरिकों के साथ समानता से व्यवहार करती है. सरकार ने रिपोर्ट पर बिंदुवार खंडन जारी किया है. बयान में कहा गया कि भारत में एक प्रगतिशील लोकतंत्र है, जिसमें अलग-अलग विचारों को रखने वालों के लिए पूरा स्थान है.

वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र अधिनायकवाद की ओर बढ़  रहा है. उसने दिल्ली दंगों में मुस्लिमों के खिलाफ भीड़ द्वारा की गई हिंसा का जिक्र किया गया है. आलोचकों के खिलाफ राजद्रोह के कानून का भी उल्लेख है और कोरोना वायरस की महामारी (coronavirus pandemic) को नियंत्रण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों के संकट का हवाला दिया गया है.

केंद्र ने कहा कि भारत सरकार सभी नागरिकों के साथ समानता के साथ व्यवहार करती है, जैसा कि संविधान में उल्लिखित है और सभी कानून भेदभाव के बिना सभी पर लागू होते हैं. कानून-व्यवस्था के मामले में पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन होता है, फिर चाहे कथित तौर पर भड़काने वाले की पहचान कुछ भी हो.

सरकार ने बयान में कहा, जनवरी 2019 में उत्तर पूर्व दिल्ली के दंगों (North East Delhi riots) के मामले पर सरकार ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई की है. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उचित कार्रवाई की गई. सभी शिकायतों या मदद की कॉल पर आवश्यक कानूनी और निरोधी कार्रवाई भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से की गई है.

राजद्रोह कानून (sedition law) के इस्तेमाल पर सरकार ने कहा,  कानून-व्यवस्था और पुलिस राज्यों के विषय हैं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी उन पर है. अपराधों की जांच का जिम्मा भी उन पर है. ऐसे में कानून प्रवर्तन एजेंसियां कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो उचित समझती हैं, वह कार्रवाई करती हैं.

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