- वायुसेना ने आज अपने बेड़े से लड़ाकू विमान मिग-21 को आधिकारिक रूप से सेवा से रिटायर किया है
- अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से लौटे शुभांशु शुक्ला ने मिग-21 के साथ अपनी उड़ान और यादों को भावुकता से साझा किया
- मिग-21 ने छह दशकों तक भारतीय आसमान पर अपनी तेज गति और दमदार डिजाइन के कारण दुश्मनों के लिए खतरा बना रहा
भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए आज दिन बेहद खास है. खास इसलिए क्योंकि आज ही लड़ाकू विमान MIG-21 को वायुसेना के बेडे़ से रिटायर किया जा रहा है. इस मौके को यादगार बनाने के लिए IAF की तरफ से खास आयोजन किया गया है. इस खास मौके पर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से लौटकर आए भारत के लाल शुभांशु शुक्ला भी मौजूद हैं. उन्होंने इस मौके पर MIF-21 के साथ जुड़ी अपनी पुरानी यादों को याद किया.
अंतरिक्ष वीर शुभांशु शुक्ला ने मिग-21 की विदाई पर क्या कहा
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मेरे जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा रहा है मिग-21, मैंने मिग-21 में काफी ज्यादा उड़ान भरी है. मैं एक तरह से मानता हूं कि मिग-21 का कॉकपिट मेरा टीचर रहा है. मैं यहां आकर काफी खुश हूं. मुझे खुशी है कि मैं मिग-21 की आखिरी उड़ान देखूंगा. ये जेट मेरे जीवन का हिस्सा रहा है.
मैंने 2007 से मिग 21 में उड़ान भरा है, 2017 तक इसमें फ्लाई किया है. पहले मिग 21 के अलग स्कॉड्रन थे और काफी अच्छा अनुभव रहा था. मिग-21 के लिए काफी भावुक हूं. जिस जेट के साथ जिंदगी का बड़ा हिस्सा बिताया है वो अपनी लास्ट फ्लाइट भरने आ रहा है, मैं तो चाहता हूं किसी कॉकपिट में बैठकर फ्लाई करूं लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सकताहै लेकिन बहुत अच्छा लग रहा है कि जिन लोगों के साथ मैंने जिंदगी के साल बिताए उनसे वापस मिल रहा हूं, मैं यहां आकर खुश हूं.
6 दशकों तक दुश्मन का काल
भारत के नीले आसमान पर दहाड़ने वाला और पिछले 6 दशकों से दुश्मन के लिए डर का प्रतीक बन चुका मिग-21 चंडीगढ़ एयरबेस से पैंथर्स स्क्वाड्रन से एयर चीफ मार्शल एपी सिंह स्क्वाड्रन के कॉल साइन बादल के साथ मिग-21 को बादल की सैर कराएंगे. उनके साथ स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी इसका हिस्सा होंगी. यह वही एयरबेस है जहां से सन् 1963 में मिग-21 भारतीय वायुयेना का हिस्सा बना था. 62 साल बाद शुक्रवार को यही जगह इसकी विदाई का गवाह बनेगी.
तेज रफ्तार और दमदार डिजाइन
सोवियत संघ में बना मिग-21 एक हल्का, सुपरसोनिक इंटरसेप्टर फाइटर जेट है. इसका कॉम्पैक्ट डिजाइन, तेज क्लाइम्ब-रेट और दुश्मन पर बिजली-सी गिरने वाली गति इसे खास बनाती थी. भारतीय वायुसेना ने 1960 के दशक में इसे अपनाया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)में इसका लाइसेंस बनाना शुरू किया था. मिग-21 ने कई खतरनाक ऑपरेशंस में अपनी बहादुरी साबित की है. आपको इसके कुछ खास ऑपरेशंस कुछ इस तरह से थे.