बेहद खास होगी मिग-21 की विदाई, वायुसेना ने जारी किया नया वीडियो

अपनी मैराथन पारी के बाद अब रिटायर होने जा रहे मिग-21की बात करें तो इस विमान का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है. याद कीजिए 2019 का वो पल जब इसी एयरक्राफ्ट से विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर को मार गिराया था.

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मिग-21 फाइटर जेट जल्द होगा रिटायर
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  • मिग-21 भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था, जो 26 सितंबर को चंडीगढ़ में विदा होगा
  • मिग-21 ने 1963 से दशकों तक भारत की वायु रक्षा की कमान संभाली और कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई
  • वायुसेना मिग-21 की विदाई पर पायलटों को आमंत्रित कर युद्धकालीन लड़ाइयों का पुनः प्रदर्शन करेगी
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नई दिल्ली:

अब से महज 12 दिन बाद मिग -21 भारतीय वायुसेना को अलविदा कह देग. देश के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को उसी जगह से विदा किया जाएगा जहां वो करीब 62 साल पहले आया था. करीब छह दशक तक वायुसेना का हिस्सा रहा मिग-21 विमान आगामी 26 सितंबर को चंडीगढ़ में अपनी विदाई के बाद इतिहास का हिस्सा बन जाएगा. मिग-21 की यात्रा का याद करते हुए वायुसेना ने एक वीडियो सोशल मीडिया साइट एक्स पर जारी किया है. इस वीडियो में लिखा है -

 मिग-21 : अंतिम उड़ान
आसमान सदा याद रखेगा
इस उड़ान की गूंज

1963 से भारतीय आकाश का प्रहरी,
दशकों तक राष्ट्र की वायु-रक्षा की रीढ़ रहा मिग-21।
हर पुकार पर तत्पर,
हर मिशन में अग्रणी,
राष्ट्र का गौरव अपने डैनों पर लेकर उड़ता रहा।

यह सिर्फ़ एक लड़ाकू विमान नहीं था,
बल्कि साहस, समर्पण और अडिग जज़्बे का प्रतीक था।
भारतीय वायुसेना के हौसलों का वाहक
हमारे जांबाज़ सैनिकों की फुर्ती और बहादुरी का प्रतीक 

1971 की निर्णायक जंग से लेकर बालाकोट की कार्रवाई तक,
मिग-21 ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए
और भारतीय आसमान को अभेद्य बनाए रखा।

अब इसके इंजन हमेशा हमेशा के लिए थम रहे हैं,
मिग-21 आसमान को अलविदा कह रहा है
पर इसकी गूंज हमेशा इतिहास के पन्नों
और हर भारतीय के दिल में अमर रहेगी.
मिग-21 की अंतिम उड़ान — चंडीगढ़, 26 सितम्बर

आपको बता दें कि वायुसेना, दुश्मनों में खौफ भरने वाले मिग-21 को अलग और खास अंदाज में विदाई देने की तैयारी कर रही है. वायुसेना ने मिग 21 को उड़ाने वाले लगभग सारे पायलटों को इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनाने के लिये निमंत्रित किया है. इस दौरान 1965 और 1971 की जंग में मिग-21 ने जिस तरह पाकिस्तान के दांत खट्टे किये थे, उसको फिर से रीक्रिएट किया जाएगा.

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इस दौरान मिग -21 की कॉम्बैट ड्रिल भी होगी जिसमें यह दिखाया जाएगा कैसे यह विमान दुश्मनों के लड़ाकू विमानों को मार गिराता था. जिस दौर में आज की तरह न राडार सिस्टम थे और ना ही आसमान में युद्ध की आधुनिक तकनीकें, मिग 21 से पार पाना किसी के बस की बात नहीं थी.

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मिग-21 की विदाई के इस खास मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी मौजूद होंगे. फ्लाइंग के बाद मिग 21 की स्क्वाड्रन की चाबी रक्षा मंत्री को सौंपी जाएगी जिसके बाद यह विमान हमेशा इतिहास का हिस्सा बन जाएगा. मिग-21 जैसी भूमिकाएं निभाने के लिए स्वदेशी फाइटर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क 1 ए तैयार है और जल्द ही वायुसेना में शामिल होने वाला है. यह अपनी श्रेणी का दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान है. तेजस मार्क 1ए मल्टी रोल एयर क्राफ्ट है जिसे वायुसेना की मानक शब्दावली में 4.5 पीढ़ी (फॉर प्वाइंट फाइव जेनेरेशन) एयरक्राफ्ट कहा जाता है. इस लड़ाकू विमान में ख़तरनाक मिसाइल लगे हैं जो इसे काफी घातक बनाते हैं. 

अपनी मैराथन पारी के बाद अब रिटायर होने जा रहे मिग-21की बात करें तो इस विमान का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है. याद कीजिए 2019 का वो पल जब इसी एयरक्राफ्ट से विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर को मार गिराया था. बात चाहे 1965 की लड़ाई की हो या फिर 1971 की जंग मल्टी रोल एयर क्राफ्ट की, मिग-21 ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके बावजूद चाहे इंसान हो या मशीन, रिटायर होना एक सच्चाई है जिसका सामना सभी को कभी न कभी करना पड़ता है. समय के साथ इस विमान की तकनीक पुरानी पड़ती चली गई. आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों के लिहाज से यह विमान आउटडेटेड हो गया. खास बात यह भी है कि 1971 से अब तक लगभग 400 हवाई दुर्घटनाएं हो चली हैं जिनमें 200 से ज्यादा पायलटों और 50 से अधिक नागरिकों की जान जा चुकी है. 

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