जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में दो दिन पहले हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में तीन युवकों के मारे जाने के मामले में शुक्रवार को निष्पक्ष जांच और शवों को युवकों के परिवारों को सौंपने की मांग की.
मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर कहा कि ऐसी घटनाओं से सशस्त्र बलों की ‘‘बदनामी'' होती है और यह मानवाधिकार का ‘‘गंभीर उल्लंघन'' है.
मुफ्ती ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि आप 30 दिसंबर की परिम्पोरा की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से अवगत हैं. तीन लड़के मारे गए, उसमें एक की उम्र 17 साल थी. परिवारवालों का आरोप है कि यह सुनियोजित मुठभेड़ थी.'' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस मुठभेड़ पर भी सवाल उठ रहे हैं और पुलिस तथा सेना की तरफ से विरोधाभासी रिपोर्ट आयी है. त्वरित कार्रवाई होने पर ही इंसाफ होगा और इसलिए मैं आपसे इस मामले में तुरंत निष्पक्ष जांच शुरू करवाने का आग्रह करती हूं.''
पुलिस ने बुधवार को दावा किया कि परिम्पोरा इलाके में देर रात मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए, लेकिन मारे गए युवकों के परिजनों ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में वे संलिप्त नहीं थे और उनमें से दो छात्र थे.
मुफ्ती ने कहा कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब पिछले साल शोपियां के अम्शीपुरा में कथित फर्जी मुठभेड़ में राजौरी के तीन लोगों के मारे जाने की घटना के मामले में एक सैन्य अधिकारी और दो अन्य कर्मियों के खिलाफ पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया है.
मुफ्ती ने कहा कि उन्हें पता है कि प्रशासन तीनों युवकों के शवों को श्रीनगर में उनके परिवारों को लौटाने को लेकर आशंकित है लेकिन ‘‘ऐसे लापरवाहीपूर्ण फैसले से परिजनों का दुख और दर्द और बढ़ेगा.'' उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘उम्मीद है आप इस फैसले पर पुनर्विचार करेंगे और परिजनों को उनके अंतिम दर्शन करने देंगे. अपने बेटे को खो चुकी मांओं को अपने बेटों का चेहरा अंतिम बार देखने से उन्हें वंचित मत कीजिए.''
मुफ्ती ने सिन्हा से मामले में हस्तक्षेप करने और परिवार को उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक अंतिम संस्कार का मौका देने को कहा. अनंतनाग के सांसद और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी ने कहा कि मुद्दे पर बृहस्पतिवार शाम उन्होंने सिन्हा से बात की थी और राज्यपाल ने उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था.