मुंबई में मेडिकल टूरिज़्म 80% डाउन, अंतरराष्ट्रीय रोगियों की संख्या घटी

कोविड के बीच कई ज़रूरी इलाज थमे थे, जो समय के साथ फिर से पटरी पर हैं. शहर को उम्मीद है वैक्सीन, नए साल को खोई जान लौटाएगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) की पाबंदियों के बीच मुंबई का मेडिकल टूरिज़्म 80% डाउन है! एशिया में भारत, तेज़ी से बढ़ते चिकित्सा पर्यटन स्थलों में से एक माना जा रहा है और मुंबई इसका अहम केंद्र है लेकिन बीते साल के मुक़ाबले शहर में अंतरराष्ट्रीय रोगियों की संख्या 80% तक गिरी है. 

पिछले साल लगभग 7 लाख विदेशियों ने मेडिकल वीजा के लिए आवेदन किया था. हालांकि, इस साल विश्वस्तर पर फैली महामारी की शुरुआत से चिकित्सा पर्यटन रुका है और अंतर्राष्ट्रीय आवागमन बड़े पैमाने पर प्रभावित है. भारत एशिया के सबसे तेजी से बढ़ते चिकित्सा पर्यटन (Medical Tourism) स्थलों में से एक है और यहां मुंबई, सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र है.

सैफी, अपोलो स्पेक्ट्रा, नमा, कर्रे जैसे प्रमुख अस्पतालों से जुड़ीं बेरिएट्रिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अपर्णा गोविल भास्कर बताती हैं कि लॉकडाउन में रियायतों के बाद भी अस्पताल, अंतरराष्ट्रीय रोगियों में 80% गिरावट देख रहे हैं.

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बेरिएट्रिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ अपर्णा गोविल भास्कर बताते हैं, ‘'हमने ये अब्ज़र्व किया है कि जो बाहर के देशों से मरीज़ इलाज के लिए आते थे मुंबई में उनके नम्बर काफ़ी कम हुए थे वजहें कई हैं, मौजूदा वक्त में कहीं आना जाना मुश्किल है, हर देश में कई पाबंदियां हैं, तो इसलिए मरीज़ नहीं आ पा रहे हैं ये नम्बर क़रीब, पहले की तुलना में आज 20% मरीज़ भी नहीं हैं जो पहले आ पाते थे लोग ट्रीटमेंट कराने के लिए. ना सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय बल्कि जो भारत के मरीज़ जो दूसरे शहरों से मुंबई आते थे उनकी संख्या भी काफ़ी कम है, आने जाने का डर भी है उनमें इसलिए शायद.''

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शहर का बॉम्बे अस्पताल इंटरनेशनल मरीज़ों में 65-70% गिरावट देख रहा है... ऐसे में वरिष्ठ डॉक्टर डॉ गौतम भंसाली क़रीब 1000 अंतरराष्ट्रीय मरीज़ों का ऑनलाइन कॉन्सल्टेशन कर चुके हैं...वो भी बिना किसी तरह की फ़ीस लिए!

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बॉम्बे अस्पताल के कन्सल्टिंग फ़िज़िशियन डॉ गौतम भंसाली का कहना है, ‘'जहां तक अंतरराष्ट्रीय मरीज़ों की बात है तो 70% से ज़्यादा गिरावट दर्ज हुई है, डोमेस्टिक मरीज़ों में 10-12% तक का फ़र्क़ पड़ा है. अमरीका, यूके,ऑस्ट्रेलिया, के पेशेंट अलग अलग देशों के मरीज़ हमको कॉल करते थे, हिंदुस्तान के डॉक्टर ने जिस तरह से काम किया वर्ल्ड वाइड हिंदुस्तान के डॉक्टर की चर्चा होती है यहां के डॉक्टर को अलग लेवल पर अब देखा जाता है तो ज़ाहिर है हमको बाहर कंट्री के काफ़ी मरीज़ कॉल करते हैं, वीडियो कॉन्सलटंसी के लिए, मेरी अपनी चाहत थी की कोविड के मरीज़ों से पैसे नहीं लेने हैं, 1000 से ऊपर कॉल आए लेकिन मैंने पैसे नहीं लिए खैर ये मेरी इच्छा थी.''

ग्लोबल अस्पताल के सीईओ डॉ विवेक तलौलिकर मानते हैं कि नए साल में चिकित्सा क्षेत्र में हालात बेहतर होंगे.उन्होंने बताया, ‘'हमने इस वक़्त एक हैंड ट्रैन्स्प्लैंट भी किया है जो मुंबई या वेस्टर्न इंडिया का फ़र्स्ट हैंड बाइलैटरल हैंड ट्रैन्स्प्लैंट था, ये हमको दर्शाता है की उम्मीदें हैं कि नए साल में हालात बेहतर होंगे, और रोड टू रिकवरी हमारा स्मूथ होने वाला है क्योंकि हमने बहुत सारे लोगों की जान बचाई है बहुत सारे मरीज़ों को सर्व किया है, पिछले 9-10 महीनों में जिससे हमारा नाम काम लोग पहचान रहे हैं.''

कोविड के बीच कई ज़रूरी इलाज थमे थे, जो समय के साथ फिर से पटरी पर हैं. शहर को उम्मीद है वैक्सीन, नए साल को खोई जान लौटाएगी.

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