मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर (Media group Dainik Bhaskar) के देशभर के कई ऑफिसों में गुरुवार सुबह इनकम टैक्स के छापे मारे गए. सूत्रों ने बताया कि भास्कर ग्रुप पर कर चोरी का आरोप है. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि अधिकारियों ने दैनिक भास्कर के दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के ऑफिस परिसरों की तलाशी ली. ग्रुप के प्रमोटर्स के घरों और ऑफिसों पर भी छापेमारी की गई. दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संपादक ने NDTV को बताया कि भास्कर ग्रुप के जयपुर, अहमदाबाद, भोपाल और इंदौर ऑफिसों पर छापे जारी हैं.
सूत्रों के अनुसार, यूपी के एक टीवी चैनल, भारत समाचार (Bharat Samachar) के ठिकानों पर भी छापे मारे गए. आयकर अधिकारियों की टीम ने इसके लखनऊ स्थित ऑफिस और संपादक के घर की तलाशी ली. सूत्रों ने दावा कि चैनल की ओर से टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत के आधार पर यह छापे मारे गए. भारत समाचार की हालिया रिपोर्टिंग में यूपी सरकार की आलोचना की गई थी.
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भास्कर ग्रुप ने सरकार के 'कोविड कुप्रबंधन (Covid "mismanagement)' को लेकर रिपोर्टिंग की थी, इसलिए ये छापे मारे गए. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'अपनी रिपोर्टिंग के जरिये दैनिक भास्कर ने मोदी सरकार के कोविड-19 महामारी के 'कुप्रबंधन' को उजागर किया था, इसकी कीमत उसे चुकानी पड़ रही है. अघोषित आपातकाल जैसा कि अरुण शौरी ने कहा है-यह मोडिफाइड इमरजेंसी (Modified Emergency) है '
देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक, दैनिक भास्कर ने अप्रैल-मई माह में कोविड-19 की दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर तबाही की मुखरता से रिपोर्टिंग की थी.भास्कर ने कोरोना महामारी के दौरान आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्टों की एक सीरीज प्रकाशित की थी, इसमें ऑक्सीजन, हॉस्पिटल बेड और वैक्सीन की कमी के कारण लोगों को हुई भारी परेशानी को हाईलाइट किया गया था.इसकी कवरेज ने यूपी और बिहार के कस्बों में गंगा नदी में तैरते कोविड प्रभावितों के शवों की भयावह स्थिति को उजागर किया था, संभवत: शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए साधनों की कमी के कारण ऐसा किया गया. रिपोर्टिंग में यूपी में गंगा नदी कि किनारे पर उथली कब्रों में दफन शवों के बारे में भी खुलासा था.
करीब एक माह पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स ने दैनिक भास्कर के संपादक ओम गौड़ की भारत में कोविड के कारण हुई मौतों को लेकर ऑप-एड (op-ed) इस शीर्षक के साथ प्रकाशित किया था, 'गंगा शवों का लौटा रही है, यह झूठ नहीं बोलती (The Ganges Is Returning the Dead. It Does Not Lie). इसमें कोरोना के चरम पर होने के दौरान स्थिति को नियंत्रण करने के मामले में सरकार की आलोचना की गई थी. उन्होंने लिखा था, 'देश की पवित्र नदियों मोदी प्रशासन की नाकामियों और धोखे का प्रदर्शन बन गई हैं.'