'अलग तरह की' फूड डिलीवरी सर्विस : इस मोटरचालित व्‍हीलचेयर ने दिव्‍यांगों की उम्‍मीदों को दिए नए पंख

यह मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर अपने आप में खास है. टू-इन-वन इस मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर को एक बटन को दबाकर अलग किया जा सकता है और इसका पिछला हिस्‍सा साधारण व्‍हीलचेयर में तब्‍दील हो जाता है जिससे मुरुगन को अंतिम ठिकाने तक भोजन पहुंचाने में मदद मिलती है.

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चेन्‍नई:

रीढ़ की हड्डी में चोटिल चेन्‍नई के 37 वर्षीय गणेश मुरुगन जब अपनी मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर के जरिये खाना डिलीवर करते हैं तो लोग देखते रह जाते हैं. संभवत: वे व्हीलचेयर पर सवारी कर फूड डिलीवरी करने वाले भारत के एकमात्र शख्‍स हैं. आईआईटी मद्रास के एक स्टार्ट-अप द्वारा डिजाइन मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर ने उनकी कमाने की क्षमता में इजाफा किया है. यह मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर अपने आप में खास है. टू-इन-वन इस मोटर चालित इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर को एक बटन दबाकर अलग किया जा सकता है और इसका पिछला हिस्‍सा साधारण व्‍हीलचेयर में तब्‍दील हो जाता है जिससे मुरुगन को अंतिम ठिकाने तक भोजन पहुंचाने में मदद मिलती है. यह उन्‍हें भोजन एकत्र करने और वितरित करने के लिए किसी रेस्‍तरां यहां तक कि ऊंची इमारतों में जाने में सक्षम बनाता है. 

अपनी मोटर चालित  इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर पर 37 वर्षीय गणेश

गणेश सात साल से अपने घर से यह काम कर रहे हैं. वर्ष 2006 में एक ट्रक की चपेट में आने के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी की चोट को ठीक होने में कई साल लग गए.  उन्‍होंने आने-जाने के लिए एक मोडिफाइड स्‍कूटर का उपयोग किया लेकिन उन्‍हें व्‍हीलचेयर भी रखनी पड़ी और ऐसे में उन्‍हें अपने वाहन से व्‍हीलचेयर और फिर व्‍हीलचेयर से वापस वाहन में आने के लिए एक अन्‍य व्‍यक्ति की मदद की जरूरत होती थी. अब वे अपने इस नए वाहन का उपयोग करके पार्टटाइम भोजन वितरित करके छह हजार रुपये की अतिरिक्‍त कमाई कर लेते हैं.   

हासिल गति और अपने आत्‍मविश्‍वास के बारे में गणेश बताते हैं, "हाल ही में मुझे अंबत्‍तूर में 10वें फ्लोर पर फूड डिलीवर करना था लेकिन मैंने कस्‍टमर को नीचे आने के लिए नहीं कहा. मैंने पहले व्‍हील को अलग कर दिया और लिफ्ट पर चढ़ गया क्‍योंकि इसमें  व्‍हीलचेयर आ सकती थी. कस्‍टमर बेहद प्रभावित हुआ. मैंने इस अनुभव का आनंद उठाया और कस्‍टमर भी खुश हुआ." 

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कुछ किलोमीटर दूर, पोलियो के कारण विकलांग राजाराम ने डिलीवरी बॉय साइकल श्रेणी के तहत Zomato के साथ अनुबंध किया है. वे उत्‍तरी चेन्‍नई से गुजरते हुए भूखे लोगों को खाना खिलाते हैं. वे कहते हैं कि इस मोटर चालित व्‍हीलचेयर ने मेरे सपनों को पंख दिए हैं. उनकी आय अब 9000 रुपये हो गई है. उन्‍होंने कहा, "इस आय से मैं अपने मासिक किराये और किसी भी अतिरिक्‍त खर्च को मैनेज करने में सक्षम हूं. " अपने नए अनुभव के बारे में वे कहते हैं, "जब मैं अपना फूड डिलीवरी बैग ले जाता हूं तो लोग मेरी सराहना करते हैं. वे मुझे गर्व से देखते हैं. जिस तरह वे मुझे पहले देखते थे और अब देखते हैं, उसमें मुझे बड़ा अंतर नजर आता है. "

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एक युवा इंजीनियर सुरेश ने अपने अवकाश के दिन लंच का ऑर्डर दिया था. जब उन्‍हें पता लगा कि राजाराम अपनी व्‍हीलचेयर पर उनका खाना ला रहे हैं तो उन्‍हें हैरानी हुई. इसे ई-कॉमर्स में एक स्‍वागत योग्‍य सशक्‍तीकरण करार देते हुए उन्‍होंने कहा, "जब मैंने उन्‍हें अपने दरवाजे से करीब 20 फीट की दूरी पर देखा तो मुझे लगा कि यह उनके लिए काफी है. मुझे आगे जाकर पार्सल लाने की जरूरत है. यदि उन्‍हें अवसर दिया जाए तो वे कुछ भी कर सकते हैं." उनके पास ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म के लिए एक सुझाव है, "इन्‍हें डिलीवरी पर्सन के तौर पर विकलांग लोगों को पर्याप्‍त संख्‍या में जोड़ना  चाहिए. APP को ग्राहक को इस बारे में यह सूचना देनी चाहिए. इन डिलीवरी पर्सन के लिए उनके पास अलग कैटेगरी होनी चाहिए ताकि उन्‍हें समावेशी रूप में देखा जा सके. "

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स्टार्ट-अप NeoMotion Assistive Solutions Pvt Ltd की स्‍थापना  तीन छात्रों और आईआईटी मद्रास के एक फैकल्‍टी ने की थी. उनका कस्‍टमाइज किया गया वाहन एक घंटे में 25 किमी प्रति घंटे की गति से सफर कर सकता है. इसे चार्ज करने में चार घंटे का समय लगता है और एक बार चार्ज करने में 25 किमी चल सकता है. टीम को उम्‍मीद है कि इससे कई नए अवसर खुल सकते हैं.  

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NeoMotion Assistive Solutions Pvt Ltd ने इन वाहन को तैयार किया है

कोफाउंडर (सह संस्‍थापक) सिद्धार्थ डागा ने बताया, " यहां तक कि हमने इंडिया पोस्‍ट से संपर्क किया है. वे पोस्‍ट ऑफिस के माध्‍यम से पत्र वितरण में हमारी मदद कर सकते हैं. हमने दूध की डिलीवरी के लिए हिंदू और टाइम्‍स ऑफ इंडिया समाचार पत्र से भी संपर्क का प्रयास किया है. यह उस किसी भी क्षेत्र में नए अवसर पैदा करेगा जिसमें गतिशीलता की जरूरत होती है. "

इस टू-इन-वन वाहन की कीमत करीब एक लाख रुपये है. संस्थापक अब कॉरपोरेट को इससे जोड़ रहे हैं, ताकि उनके CSR फंड की बदौलत उन दिव्यांगों को धनराशि उपलब्ध कराई जा सके, और उन्हें सशक्त बनाया जा सके, जो इसकी कीमत नहीं चुका सकते, लेकिन इससे लाभान्वित होंगे.स्टार्ट-अप ने अब तक करीब 1300 वाहन सप्‍लाई किए हैं इसमें से करीब 300 वाहनों को कारपोरेट स्‍पांसरशिप हासिल हुई है.

 टू-इन-वन वाहन की कीमत करीब एक लाख रुपये है.

एक अन्‍य कोफाउंडर आशीष मोहन शर्मा कहते हैं, "इस काम की संतुष्टि है कि आपने कॉलेज से जो कुछ सीखा है, उससे आप अच्‍छा कर रहे हैं. हम कार्पोरेट जगह से मोहित नहीं थे." आईआईटी मद्रास में इनोवेशन (नवाचार) ई-कॉमर्स डिलीवरी में विकलांगों के लिए नए अवसर पैदा कर रहा है. रिसर्चर्स का कहना है कि यह तो अभी केवल शुरुआत है, और सर्वश्रेष्‍ठ अभी आना बाकी है. 

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