बसपा नेता ने सपाई को समधी बनाया तो बहन जी ने नेताजी को हाथी से उतार दिया

सुरेंद्र सागर बोले देखिए पार्टी कोई भी हो हाई कमान का फैसला सर्वोपरि होता है उसमें फैसले में कुछ चीज गलत भी होती हैं...

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने एक नेता को पार्टी से निकाला तो इस फैसले पर पार्टी में ही सवाल उठने लगे हैं.

शादी विवाह का बंधन बेहद पवित्र माना जाता है. कभी इस रिश्ते के बीच में दो दुश्मन देश की सीमाएं भी बाधा नहीं बनती थीं, लेकिन इस दौर में तो कभी धर्म तो कभी जाति विवाह के पवित्र बंधन आड़े आने लगे हैं, इसी कड़ी में एक और समस्या ने जन्म लिया और वह है राजनीतिक दल और सियासी पार्टियां. जिनके शिखर पर बैठे लोग खुद तो भले ही अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसी से भी हाथ मिला लें और कहीं भी गठबंधन कर लें, लेकिन उनके कार्यकर्ता और जमीनी नेताओ के बच्चे अगर वैवाहिक बंधन में बनना चाहें तो इसकी कीमत उनके माता-पिता को अपनी राजनीतिक कुर्सी गवां कर चुकानी पड़ती है.

मामला क्या है

इसकी ताजा मिसाल मिली रामपुर में, जहां 4 बार बसपा के रामपुर जिलाध्यक्ष रहे, 2 बार बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़ चुके पूर्व दर्जा राज्य मंत्री रहे बसपा नेता सुरेंद्र सागर को बहन जी के फरमान पर बसपा से निष्कासित कर दिया गया है. बहुजन समाज पार्टी से निष्कासन के पीछे बेहद दिलचस्प कहानी है. उन पर ना तो कोई पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप लगा और ना ही किसी तरह का जवाब तलब हुआ, बल्कि सीधे निष्कासन का फरमान सुना दिया गया. वजह बताई गई कि बसपा नेता सुरेंद्र सागर के बेटे अंकुर सागर का विवाह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व विधायक आलापुर और पूर्व सांसद अंबेडकर नगर त्रिभुवन दत्त की बेटी कुसुम दत्त के साथ क्यों हुआ?  इसके बाद बसपा सुप्रीमो बहन मायावती का आदेश आया और बेटे को घोड़ी चढ़ाने की कीमत सुरेंद्र सागर को अपनी पार्टी से निष्कासित हो कर अदा करना पड़ी.

मायावती तक कैसे पहुंचा

इस बाबत पूर्व बसपा नेता सुरेंद्र सिंह सागर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बेटे के शादी का रिसेप्शन 3 दिसंबर को था.  2 दिसंबर को पार्टी के जो कोऑर्डिनेटर थे, वह बहन जी के पास गए थे. उन्होंने बुलाया था किसी और काम से, तो वहां चर्चा यह भी हुई कि मेरे बेटे की शादी सपा विधायक की बेटी से हुई है. इस पर जो सलाहकार थे, उन्होंने बार-बार बहन जी से इस बात को रिपीट किया तो बहन जी ने इस पर कहा ठीक है ,अगर ऐसी बात है तो आप लोग शादी में मत जाना, लेकिन हमारी तरफ से लोगों का निमंत्रण था और कार्ड गए हुए थे, इसलिए अधिकतर लोग आए थे. हमारे सबसे पारिवारिक संबंध हैं. हमारे यहां के वर्तमान जिला अध्यक्ष के द्वारा यह शिकायत भेजी गई की बहन जी के आदेश का पालन न करते हुए लोग शादी में पहुंचे हैं. इस बात को कोऑर्डिनेटरों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिलवाया.

यह पूछे जाने पर कि क्या समाजवादी पार्टी के विधायक की बेटी से आपके बेटे की शादी हुई, इसलिए आपको यह खामियाजा भुगतना पड़ा, सुरेंद्र सागर ने कहा कि इसमें खामियाजा की कोई बात नहीं है. हम तो बहुजन मोमेंट की विचारधार के व्यक्ति हैं. समाज के लिए आगे भी संघर्ष करते रहेंगे.

सुरेंद्र नागर कब से बसपा में थे

निष्कासन की खबर मिलने पर आपको कैसा लगा? यह पूछने पर सुरेंद्र सागर बोले देखिए पार्टी कोई भी हो, हाई कमान का फैसला सर्वोपरि होता है. उसमें फैसले में कुछ चीज गलत भी होती हैं, कुछ सही भी होती हैं. ज्यादातर लोगों ने पार्टी के इस निर्णय की आलोचना की है कि इस तरह का फैसला नहीं होना चाहिए. यह पूछे जाने पर के कितने समय तक आप बीएसपी में रहे हैं, उन्होंने बताया कि मैं 1995 में सक्रिय रूप से राजनीति शुरू की थी और जिले में मंडल में और ज़ोन में कोई ऐसा पद नहीं बचा है, जिसमें रहकर मैंने पार्टी के लिए कार्य नहीं किया हो. दो बार विधायक का चुनाव भी लड़ा हूं. 2009 में और 2022 में. सरकार में रहकर दर्ज मंत्री का पद भी रहा है मेरे पास. चार बार मैं जिला अध्यक्ष रहा हूं, मंडल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी लगातार मैंने निभाई है और पार्टी के लिए काफी संघर्ष किया है. उत्तर उत्तराखंड का प्रदेश प्रभारी भी रहा हूं. 

अब क्या करेंगे

आगे क्या रणनीति होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा देखिए, हमारे पार्टी में हमसे आस्था रखने वाले लोगों से चर्चा करके यह तय करेंगे कि आगे क्या करना है. बहन जी से मेरी अपील है कि इस तरह के निर्णय लेने से बहुजन समाज पार्टी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. सबसे ज्यादा नुकसान उस समाज को ही हो रहा है, जो बहुजन समाज पार्टी को वोट देते हैं, सहयोग करते हैं. वह लोग पूरी तरीके से आज मायूस हैं. जिस तरह से बहन जी निर्णय ले रही हैं, अगर बहन जी के निर्णय सही हो जाएं तो बहुजन समाज पार्टी देश के पहले नंबर की पार्टी बन सकती है.
 

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