- माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में पहले बैच के 50 में से 42 छात्र एक ही समुदाय के होने पर विवाद उभरा है
- वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने मुस्लिम छात्रों को मेडिकल कॉलेज में अधिक सीटें दिए जाने का विरोध किया है
- राज्य सरकार का कहना है कि कॉलेज में सीट आवंटन नियमों के अनुसार होता है और अन्य राज्यों में भी यही नियम लागू
माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में मुस्लिम छात्रों के एडमिशन का मामला एक बार फिर गरमा गया है. हिंदू संगठन 'वैष्णो देवी संघर्ष समिति' के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर राजभवन का घेराव किया. समिति के लोग मुस्लिम छात्रों को मेडिकल कॉलेज में ज्यादा सीटे दिये जाने का विरोध कर रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि वे नियमों के हिसाब से ही चल रहे हैं. अन्य राज्यों में भी ऐसे ही नियम हैं. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने भी विरोध कर रहे लोगों की मांग को ठुकरा दिया है.
क्या है पूरा विवाद
हिंदू संगठनों के राजभवन का घेराव करने के बाद वहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. यह विवाद तब बढ़ा, जब कॉलेज के पहले बैच के 50 में से 42 छात्र एक ही समुदाय से दाखिला हुए. ऐसे में बीजेपी सहित तमाम हिन्दू संगठनों ने एक ही समुदाय के छात्रों के कॉलेज में प्रवेश का विरोध किया. कॉलेज का तर्क है कि संस्थान वैष्णो देवी भक्तों के योगदान से बना है, इसलिए सीटें पूरे देश के छात्रों के लिए खुलनी चाहिए. मौजूदा नियम के तहत 85% सीटें राज्य कोटा, 15% ऑल-इंडिया कोटा के तहत भरी जाती है. यह नियम सभी मेडिकल कॉलेजों पर लागू है.
अलग नियम बनाना भेदभाव होगा?
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) का कहना है कि किसी एक राज्य या कॉलेज के लिए अलग नियम बनाना भेदभाव होगा और राष्ट्रीय ढांचा कमजोर करेगा. फिलहाल एनएमसी ने अनुरोध अस्वीकार किया है, लेकिन भविष्य में इस पर बोर्ड स्तर पर दोबारा चर्चा संभव है. यह मेडिकल कॉलेज 2024 में मंजूर हुआ और 2025-26 से पहला MBBS बैच शुरू हो रहा है. कॉलेज को 50 सीटों पर एमबीबीएस पढ़ाई की अनुमति मिली है.














