पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या विवाह, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे की आड़ में यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है. शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया गया, जिसमें इन अपराधों से निपटने के लिए पहली बार एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1860 की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक पेश किया और कहा कि इसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है.
शाह ने कहा, ‘‘इस विधेयक में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है. शादी, रोजगार, पदोन्नति का वादा और झूठी पहचान की आड़ में महिलाओं के साथ संबंध बनाना पहली बार अपराध की श्रेणी में आएगा.''
शादी का झांसा देकर बलात्कार का दावा करने वाली महिलाओं के मामलों से अदालतें निपटती हैं, लेकिन आईपीसी में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है. इस विधेयक की अब एक स्थायी समिति द्वारा जांच की जाएगी.
विधेयक में कहा गया है, ‘‘जो कोई भी, धोखे से या बिना विवाह के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, तो यह यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अब इसके लिए 10 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.''
फौजदारी मामलों की वरिष्ठ वकील शिल्पी जैन ने कहा कि यह प्रावधान लंबे समय से लंबित था और इस तरह के प्रावधान की अनुपस्थिति के कारण, मामलों को अपराध नहीं माना जाता था और दोनों पक्षों की तरफ से कई व्याख्या के विकल्प खुले थे.
जैन ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि ‘‘पहचान छिपाकर शादी करने'' के विशिष्ट प्रावधान को झूठे नामों के तहत अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में लक्षित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यहां मुख्य बात यह है कि झूठ के सहारे ली गई पीड़िता की सहमति को स्वैच्छिक नहीं कहा जा सकता।
जैन ने दावा किया, ‘‘हमारे देश में पुरुषों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है, जो उनसे शादी का वादा कर यौन संबंध बनाते हैं और अगर वादा करते समय पुरुषों का शादी करने का कोई इरादा नहीं था, तो यह एक अपराध है.''
हालांकि, जैन ने कहा कि इस प्रावधान में शादी के झूठे वादे को रोजगार या पदोन्नति के वादे के साथ जोड़ना आगे बढ़ने का सही तरीका नहीं हो सकता है. प्रस्तावित विधेयक में ताक-झांक के अपराध के लिए भी तीन से सात साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
गृह मंत्री ने कहा कि त्वरित न्याय प्रदान करने और लोगों की समकालीन जरूरतों एवं आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक कानूनी प्रणाली बनाने के लिए ये बदलाव पेश किए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी. 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है.''
विधेयक में कहा गया है कि हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी. विधेयक के अनुसार, यदि किसी महिला की बलात्कार के बाद मृत्यु हो जाती है या इसके कारण महिला मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.
विधेयक के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म के दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे व्यक्ति के शेष जीवन तक कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है.
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