त्रिपुरा उच्च न्यायालय (Tripura High Court) ने कहा है कि अपने पिता की आय पर आश्रित पुत्री भी मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी की पात्र है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायमूर्ति एससी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने फैसले में एकल न्यायाधीश का निर्णय बरकरार रखते हुए उसके खिलाफ राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी. खंडपीठ ने कहा कि विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लाभ से वंचित करना संविधान की भावना के साथ-साथ लैंगिक समानता के खिलाफ है.
इससे पहले, एकल न्यायाधीश की पीठ ने पांच अलग-अलग रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि अपने पिता की आय पर निर्भर एक विवाहित बेटी मृतक आश्रित कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने की पात्र है. एकल न्यायाधीश के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करते हुए राज्य सरकार ने खंडपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दाखिल की थी.
मामले में पांच याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता हरेकृष्ण भौमिक ने बुधवार को इस फैसले को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ जीत करार दिया. भौमिक ने कहा, ‘हम उच्च न्यायालय को यह समझाने में सफल रहे हैं कि सरकार विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी का लाभ पाने से वंचित नहीं कर सकती है. अदालत ने सरकार से कहा है कि वह लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन महीने में अपना फैसला बदल दे.'
त्रिपुरा सरकार ने 2015 में एक अधिसूचना जारी कर शादीशुदा बेटियों को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी का लाभ पाने से प्रतिबंधित कर दिया था.