अग्निपथ योजना को लेकर राजस्थान सरकार ने केंद्र से इस योजना को वापस लेने की अपील की है. राजस्थान सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर ऐसा कहा है. इस प्रस्ताव के पारिस होने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक हुई. इस बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन पर चिंता भी जाहिर की गई। हालांकि, बैठक में शामिल नेताओं ने युवाओं से इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा न करने की भी अपील की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर हुई बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया. जिसमे बताया गया कि बैठक के दौरान भारतीय सेना के इतिहास और उनके गौरव गाथा पर बात की गई. बैठक में कहा गया कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जो अपने अदम्य साहस के लिए जानी जाती है। ऐसे में इसमे भर्ती के लिए इस योजना को लागू करना सेना की छवि को खराब करेगा.
बता दें कि इस योजना का विरोध करने वाला राजस्थान इकलौता राज्य नहीं है. राजस्थान के अलावा तमिलनाडु और केरल ने भी इस योजना को वापस लेने की मांग की है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि सरकार के इस फैसले से युवाओं में गुस्सा है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वो अपने फैसले पर फिर से विचार जरूर करे. उन्होंने कहा कि इस योजना को कई पूर्व सैनिक भी विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि सेना की नौकरी कोई पार्ट टाइम जॉब की तरह नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो ये सेना के अनुशासन के लिए खतरनाक होगा.
एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से इस योजना को वापस लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र से योजना को वापस लेने को कहता हूं. इस योजना से युवा खुश नहीं है. ऐसे में इस योजना को लागू करना सही नहीं होगा. वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इस योजना का विरोध किया है. उन्होंने शनिवार को कहा कि सरकार को फिलहाल इस योजना को होल्ड पर रख देना चाहिए.
उन्होंने एक ट्वीट में पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से पूरे देश में इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं ये अपने आप में इस बात की तसदीक करता है कि युवा इस योजना से कहीं से भी खुश नहीं है. ऐसे में मैं पीएम मोदी से अनुरोध करता हूं कि वो फिलहाल इस योजना होल्ड कर दें.