आतंकवाद पीड़ित परिवारों के जख्मों पर मरहम, मनोज सिन्हा ने दिए नियुक्ति पत्र

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कई पीड़ित परिवारों के बारे में बात करते हुए कहा कि अनंतनाग की पाकीज़ा रियाज़, जिनके पिता रियाज़ अहमद मीर की 1999 में हत्या हुई थी,हैदरपोरा, श्रीनगर की शाइस्ता, जिनके पिता अब्दुल रशीद गनई की 2000 में हत्या हुई थी.

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नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 39 ऐसे परिवारों के आश्रितों को नियुक्त पत्र सौंपे हैं. मनोज सिन्हा ने श्रीनगर स्थित लोक भवन में नियुक्ति पत्र वितरित किए हैं. जिन परिवारों को ये नियुक्त पत्र दिए गए हैं वो आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं. इस खास मौके पर उपराज्यपाल ने कहा कि प्रशासन आतंकवाद‑पीड़ित परिवारों को न्याय, रोजगार और सम्मान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को आतंकवादियों के हाथों खोया, उन्होंने वर्षों तक झेली गई पीड़ा और भयावह घटनाओं को साझा किया.उपराज्यपाल ने कहा कि इन परिवारों के लिए आज न्याय की लंबी प्रतीक्षा समाप्त हुई है. पुनर्वास के ठोस कदमों के साथ हमने उनकी गरिमा और व्यवस्था पर विश्वास बहाल किया है.आतंकवाद ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि परिवारों को तोड़ दिया और निर्दोष घरों को दशकों तक खामोशी, कलंक और गरीबी में धकेल दिया. हर बर्बर हत्या के पीछे एक ऐसा घर है जो कभी संभल नहीं पाया, ऐसे बच्चे हैं जो माता‑पिता के बिना बड़े हुए.

मनोज सिन्हा ने कई पीड़ित परिवारों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि अनंतनाग की पाकीज़ा रियाज़, जिनके पिता रियाज़ अहमद मीर की 1999 में हत्या हुई थी,हैदरपोरा, श्रीनगर की शाइस्ता, जिनके पिता अब्दुल रशीद गनई की 2000 में हत्या हुई थी,दोनों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र मिले, जिससे उनकी वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त हुई.बीएसएफ के शहीद अल्ताफ हुसैन के पुत्र इश्तियाक अहमद को भी सरकारी नौकरी मिली.काजीगुंड के दिलावर गनी और उनके पुत्र फैयाज़ गनी, जिनकी 4 फरवरी 2000 को हत्या कर दी गई थी, उनके परिवार को भी न्याय मिला. फैयाज़ की छोटी बेटी फोज़ी ने एक ही दिन में अपने जीवन के दो स्तंभ खो दिए थे. 30 वर्ष पहले मारे गए श्रीनगर निवासी अब्दुल अज़ीज़ डार के परिवार की भी आज न्याय की लंबी खोज समाप्त हुई.

उपराज्यपाल ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकवाद‑पीड़ित परिवारों में नया साहस और आत्मविश्वास आया है और वे अब आतंक तंत्र के खिलाफ बिना भय के अपनी आवाज उठा रहे हैं.उन्होंने कहा कि पीढ़ियों तक व्यवस्था ने इन पीड़ितों को वह प्राथमिकता नहीं दी जिसकी वे हकदार थे. हम उनकी आवाज को सशक्त कर रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें उनका अधिकार मिले. अपराधियों को शीघ्र और निष्पक्ष न्याय दिलाना हमारी प्रतिबद्धता है.उपराज्यपाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है और सभी को दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ इस लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा.उन्होंने कहा कि लंबे समय तक व्यवस्था ने इन परिवारों के दर्द को अनदेखा किया. वास्तविक पीड़ितों और सच्चे शहीदों को आतंक तंत्र से जुड़े तत्वों ने परेशान किया.

उन्होंने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है कि आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता. जम्मू‑कश्मीर को आतंकवाद‑मुक्त बनाने के लिए हर संसाधन का उपयोग किया जाएगा.अन्य घोषणाएं - SRO‑43 और पुनर्वास सहायता योजना (RAS) के तहत 39 अन्य लाभार्थियों को भी नियुक्ति पत्र दिए गए. 156 आतंकवाद‑पीड़ित परिवारों को मिशन युवा, HADP और PMEGP सहित विभिन्न योजनाओं के तहत स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए गए.आतंकवाद‑पीड़ित परिवारों की संपत्तियों पर हुए 17 अतिक्रमण हटाए गए.

36 परिवारों को घर पुनर्निर्माण के लिए चिन्हित किया गया है; प्रक्रिया जारी है.उरी और कर्नाह में पाकिस्तानी गोलाबारी से क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण का कार्य अप्रैल से शुरू होगा.कार्यक्रम में विशेष डीजी कोऑर्डिनेशन PHQ एस.जे.एम. गिलानी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम चंद्राकर भारती, कमिश्नर सेक्रेटरी GAD एम. राजू, ADGP CID  नितीश कुमार, उपराज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ. मनीदीप के. भंडारी, डिविजनल कमिश्नर कश्मीर अंशुल गर्ग, IGP कश्मीर वी.के. बर्डी, डीसी श्रीनगर अक्षय लबरो व सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन के चेयरमैन वजाहत फारूक भट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी, सामाजिक संगठनों के सदस्य और आतंकवाद‑पीड़ित परिवार उपस्थित थे.

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