स्वदेशी मिसाइल 'आकाश' वायुसेना के बेड़े में शामिल

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नई दिल्ली: जमीन से हवा में मार करने वाला पूरी तरह से स्वदेशी सुपरसोनिक मिसाइल आकाश भारतीय वायुसेना में शामिल हो गया। ये इतिहास तब बना जब ग्वालियर के एयरफोर्स स्टेशन में हुए एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने वायुसेना प्रमुख एयरचीफ अरुप राहा को इसकी चाभी सौंपी।

ये देश का पहला मेड इन इंडिया मिसाइल सिस्टम है जो डीआरडीओ, बीईएल और प्राइवेट सेक्टर के साझा सहयोग से तैयार हुआ है। आकाश मिसाइल सिस्टम 25 किलोमीटर के दायरे और 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी हवाई खतरे जैसे विमान, हेलीकॉप्टर और मानव रहित विमान को किसी भी मौसम में ध्वस्त कर सकता है।

साथ ही 100 किलोमीटर तक टारगेट पर नजर रख सकता है। 720 किलो वजन वाली और करीब 5.75 मीटर लंबी आकाश मिसाइल साउंड स्पीड से 2.8 से 3.5 ज्यादा गुना स्पीड से हमला करती है। ये एक साथ कई लक्ष्य भेद सकता है। थल सेना के पास यह मिसाइल पहले से ही है  लेकिन अब इसे वायुसेना की जरूरत के मुताबिक तैयार किया गया है। वायुसेना आकाश मिसाइल को ग्वालियर, तेजपुर, हाशीमारा, जोराहट और पुणे में तैनात करेगी।

इस मौके पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बताया कि आकाश मिसाइल का दूसरा वर्जन माक-2 जल्दी ही देश में बनेगा। इस माक-2 की रेंज 70 किमी होगी। उन्होंने कहा कि इस मिसाइल के देश में ही बनने से करीब 30 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाई गई है। नि:संदेह अकाश के वायुसेना में शामिल होने से इसकी ताकत कई गुना बढ़ गई है। खास बात ये है कि ये ताकत मेक इन इंडिया की है ना कि मेड इन यूएस या इजरायल की।
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