AFSPA मुक्त मणिपुर...बीजेपी शासित मणिपुर राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में हर राजनीतिक पार्टी इसी 'नारे' का जिक्र करके वोटरों का समर्थन हासिल करने की कवायद में जुटी है. नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी NPP पूर्वोत्तर के इस राज्य में बीजेपी की प्रमुख सहयोगी है और इसी पार्टी ने वर्ष 2017 में अपने विधायकों के जरिये 60 सदस्यीय सदन में बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाकर सरकार बनाने में मदद की थी. अपने प्रमुख कोनराड संगमा की अगुवाई में NPP इस बार मणिपुर में कम से कम 40 प्रत्याशी उतारेगी. संगमा मेघालय के मुख्यमंत्री भी हैं जहां पर एनपीपी का अच्छा खास जनाधार है. संगमा ने NDTV से बातचीत में कहा, 'हम आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को निरस्त करने पर जोर दे रहे है. यह मणिपुर, नगालैंड और पूर्वोत्तर के लोगों के लिहाज से बेहद अहम है, इसलिए यह महत्वपूर्ण एजेंडा है जिस पर हम जोर दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'जब AFSPA की बात आती है तो निश्चित रूप से इसके कई पहलू हैं. हम पिछले 20 साल से पार्टी के तौर पर इसके खिलाफ हैं. यहां तक कि जब हम मेघालय में सत्ता में आए थे तो हमने इसे निरस्त करने के लिए सरकार से पैरवी की और यह हुआ था. ' मणिपुर और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी पिछले समय में AFSPA को लेकर काफी विरोध रहा है. संगमा की पार्टी ने वर्ष 2017 में केवल सात सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार में जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी और कांग्रेस के कई नेताओं ने NPP ज्वॉइन की है.
गौरतलब है कि मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने पिछले माह ही एनडीटीवी से बातचीत में कहा था, 'हमारी सरकार, राज्य में अनुकूल कानून और व्यवस्था का माहौल बनाने की दिशा में काम करती रहेगा ताकि वह केंद्र सरकार को AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) हटाने के लिए प्रेरित कर सके. ' गौरतलब है कि AFSPA, सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है. पिछले वर्ष दिसंबर में सशस्त्र बलों के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में 'गलत पहचान' के कारण कुछ लोगों के मारे जाने के बाद मणिपुर का पड़ोसी राज्य नगालैंड पहले से ही सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी AFSPA को हटाने की कोशिश कर रहा है. पिछले साल दिसंबर में हुई इस घटना में एक सैनिक सहित 14 लोगों की मौत हुई थी. घटना म्यांमार की सीमा से लगे नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में हुई थी.
बीरेन सिंह ने कहा था, 'AFSPA पूर्वोत्तर में चिंता का विषय है और मणिपुर में इम्फाल म्युनिसिपल कांउिसल के सात खंडों से इसे हटा दिया था लेकिन पूववर्ती कांग्रेस सरकार AFSPA को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकी. वह (कांग्रेस) ग्रेटर इम्फाल क्षेत्रों से भी इसे हटा सकते थे लेकिन वे जमीनी हकीकत से वाफिक हैं...मणिपुर में अभी भी कुछ परेशानियां हैं.' गौरतलब है कि नगालैंड की घटना के बाद AFSPA को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, यह कानून अभी भी पूर्वोत्तर के हिस्सों में लागू है. मणिपुर की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि यदि वह इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य में सत्ता में आई तो पहली कैबिनेट मीटिंग में ही AFSPA को वापस लेने का प्रस्ताव पारित करेगी.