कई सालों बाद पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता राजनीति का केंद्र बनता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले यहां राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहा है. एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपीए को मजबूत कर खुद को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी विपक्षी एकता की बात तो करती हैं लेकिन खुद को नेता के तौर पर स्थापित करने से नहीं चूक रही हैं. दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में बीजेपी बड़ी संभावनाएं देख रही है और इसमें दो राय नहीं है कि बीजेपी अब वहां बड़ी ताकत बनकर उभर रही है. जबकि कांग्रेस वामदलों को बाद चौथे नंबर पर पहुंच गई है. बीजेपी को लगता है कि पश्चिम बंगाल की 42 सीटों से वह बाकी राज्यों में होने वाले नुकसान भरपाई कर सकती है. यही वजह है कि पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं और ममता बनर्जी से सीधे टकराव हो रहा है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी की अगुवाई में 20 नेताओं की रैली हुई थी. जिसकी अगुवाई खुद ममता बनर्जी ने किया था. इस रैली में कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे और अभिषेक मनु सिंघवी शामिल हुए. इसके अलावा अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, चंद्रबाबू नायडू, एचडी देवगौड़ा, फारुख अब्दुल्ला सहित कई नेता शामिल हुए थे.
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इस रैली में सभी ने केंद्र में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया. लेकिन पीएम पद की उम्मीदवारी पर कोई बात नहीं हुई. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कहा कि पीएम पद के लिए फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा. वहीं ममता बनर्जी की पूरी कोशिश है कि पीएम मोदी के खिलाफ खुद को वह नेता के तौर पर पेश करें. इसलिए उनका केंद्र के साथ टकराव बढ़ता जा रहा है. वहीं राहुल गांधी की अगुवाई में एक भी बार समूचा विपक्ष एक साथ मंच पर नहीं आया है. दिल्ली में महंगाई को लेकर हुई रैली में वामदलों को छोड़कर विपक्ष का कोई भी बड़ा धड़ा कांग्रेस के साथ नहीं आया था. जबकि ममता बनर्जी के पीछे एक महीने मे दो बार विपक्ष खड़ा है और खुद राहुल गांधी भी.
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दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति को हवा देने की कोशिश में है. पीएम मोदी और अमित शाह रैलियों मे रोहिंग्याओं का मुद्दा उठा रहे हैं, उनकी रैली में भीड़ भी उमड़ रही है. देखने वाली बात यह होगी कि भीड़ वोटों में कितना तब्दील होती है. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां तीन सीटें मिली थीं और उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा था. कांग्रेस यहां पर वामदलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और उसे 44 सीटें मिली थीं. जबकि सीपीआईएम को मात्र 26 सीटें मिलीं और टीएमसी को सबसे ज्यादा 221 सीटें मिली थीं. लेकिन इस चुनाव के बाद से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राज्य में पूरी तरह से सक्रिय हो गए. कुल मिलाकर केंद्र से ममता का टकराव जितना बढ़ेगा उनकी छवि ऐसा नेता के तौर पर उभरेगी जो सड़क पर बीजेपी और पीएम मोदी से टक्कर ले सकती हैं, यह बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को परेशान कर सकती हैं.
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