SIR पर घमासान, अब हेलीकॉप्टर का अंड़गा... ममता बनर्जी के गुस्से की पूरी इनसाइड स्टोरी

अगर भाजपा बंगाल में मुझे चोट पहुंचाने की कोशिश करेगी तो मैं पूरे भारत में उसकी नींव हिला दूंगी... पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भाजपा पर तीखे हमले किए. वो सोमवार को बेहद नाराज नजर आईं.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी.

Mamata Banerjee Angry: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को भयंकर गुस्से में नजर आईं. उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा, "अगर भाजपा बंगाल में मुझे चोट पहुंचाने की कोशिश करेगी तो मैं पूरे भारत में उसकी नींव हिला दूंगी." अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने अपना जनता से मेलजोल बढ़ा दिया है. सोमवार को बोनगांव में एक रैली में उन्होंने आरोप लगाया कि 'इलेक्शन कमीशन' अब एक निष्पक्ष संस्था न रहकर 'बीजेपी कमीशन' बन गई है. साथ ही SIR प्रक्रिया से नाखुश ममता ने बीजेपी को खुली चेतावनी देकर उसकी पूरे भारत में नींव हिलाने सीधी धमकी दे डाली.

बंगाल में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन के SIR काम से भी ममता बनर्जी खासी नाराज है. वो चुनाव आयोग को अभी तक दो पत्र लिख चुकी हैं.  सीएम ममता बनर्जी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लिखे पत्र में लिका- मैं आपको दो परेशान करने वाली लेकिन जरूरी घटनाओं के बारे में लिखने के लिए मजबूर हूं, जो मेरे ध्यान में आई हैं, और जिनके बारे में मेरे हिसाब से आपको तुरंत दखल देना चाहिए. 

1. CEO पश्चिम बंगाल का जारी किया गया संदिग्ध RFP

हाल ही में यह बात सामने आई है कि सीआईओ पश्चिम बंगाल ने डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर्स (डीईओ) को एसआईआर से जुड़े या दूसरे सिलेक्शन से जुड़े डेटा के काम के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर डेटा एंट्री ऑपरेटर्स और बांग्ला सहायता केंद्र (बीएसके) के स्टाफ को काम पर न रखने का निर्देश दिया है. साथ ही, सीईओ के ऑफिस ने एक साल के लिए 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटर्स और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को काम पर रखने के लिए एक रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरपीएफ) जारी किया है, जोकि गंभीर चिंता का विषय है. 

उन्होंने कहा कि जब डिस्ट्रिक्ट ऑफिसों में पहले से ही ऐसे काम करने वाले काफी काबिल प्रोफेशनल्स हैं, तो सीईओ को उसी काम को पूरे एक साल के लिए किसी बाहरी एजेंसी से आउटसोर्स करने की क्या जरूरत है? ट्रेडिशनली, फील्ड ऑफिस हमेशा जरूरत के हिसाब से अपने कॉन्ट्रैक्ट पर डेटा एंट्री वाले लोगों को काम पर रखते रहे हैं. 

अगर अर्जेंट जरूरत हो तो डीईओ को खुद ऐसी हायरिंग करने का पूरा अधिकार है. तो फिर सीईओ का ऑफिस फील्ड ऑफिस की तरफ से यह रोल क्यों निभा रहा है? जो लोग पहले से हायर हैं और जिन्हें प्रपोज्ड एजेंसी के जरिए हायर किया जाएगा, उनके सर्विस कंडीशन या कॉन्ट्रैक्ट की जिम्मेदारियों में क्या बड़ा फर्क होने की उम्मीद है? क्या यह काम किसी पॉलिटिकल पार्टी के कहने पर अपने फायदे के लिए किया जा रहा है? इस आरएफपी की टाइमिंग और तरीका निश्चित रूप से सही शक पैदा करता है.

2. प्राइवेट हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के अंदर पोलिंग स्टेशन बनाने का प्रपोजल 

ममता बनर्जी ने लिखा- मेरे ध्यान में यह भी लाया गया है कि इलेक्शन कमीशन प्राइवेट रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के अंदर पोलिंग स्टेशन बनाने पर विचार कर रहा है, और डीईओ से रिकमेंडेशन देने के लिए कहा गया है. यह प्रपोजल बहुत मुश्किल है. पोलिंग स्टेशन हमेशा से सरकारी या सेमी-गवर्नमेंट जगहों पर रहे हैं और रहने भी चाहिए—बेहतर होगा कि दो किमी के दायरे में, ताकि आसानी से पहुंचा जा सके और न्यूट्रैलिटी बनी रहे. 

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प्राइवेट बिल्डिंग्स को आम तौर पर कुछ वजहों से टाला जाता है कि वे फेयरनेस से समझौता करती हैं, तय नियमों को तोड़ती हैं, और खास अधिकार वाले लोगों और आम जनता—अमीर और गरीब के बीच भेदभाव पैदा करती हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कदम पर आखिर सोचा ही क्यों जा रहा है? क्या यह किसी पॉलिटिकल पार्टी के दबाव में अपने फायदे के लिए किया जा रहा है? क्यों? 

हेलीकॉप्टर नहीं उड़ा... 104 किमी सड़क मार्ग से गईं ममता

मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र के अलावा मंगलवार को ममता बनर्जी का हेलीकॉप्टर ऐन समय पर उड़ान नहीं भर सका. इस कारण भी ममता बनर्जी बेहद नाराज नजर आई. हेलीकॉप्टर नहीं मिलने के कारण सीएम ममता बनर्जी कोलकाता से लगभग 104 किलोमीटर दूर उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव सड़क मार्ग से गईं.

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हेलीकॉप्टर संचालक को शो कॉज नोटिस

इस बीच हेलीकॉप्टर संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री लगभग छह महीने से हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं कर रही थीं और सोमवार को हेलीकॉप्टर ने अपनी अनिवार्य परीक्षण उड़ान पूरी की. अधिकारी ने कहा, "लाइसेंस की समाप्ति की सूचना तुरंत दी जानी चाहिए थी. दस्तावेजों की पुष्टि किए बिना परीक्षण उड़ान की अनुमति देना अस्वीकार्य है. हालांकि, जांच के दौरान लाइसेंस में चूक की सूचना नहीं दी गई. यह मामला मंगलवार तड़के सामने आया."

कैसे हुई चूक, पहले क्यों नहीं दी गई सूचना

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री इस बात को लेकर नाराज दिख रही थीं. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, "इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती, खासकर वीवीआईपी से जुड़े मामलों में. उन्होंने (मुख्यमंत्री ने) पूरा स्पष्टीकरण मांगा है." यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है कि यह चूक कैसे हुई और इसकी सूचना पहले क्यों नहीं दी गई.

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