"हमें खेद है...": भारत के साथ चल रहे विवाद पर मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने जताई चिंता

India Maldives Row: भारत के बहिष्कार से मालदीव में विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ रहा है, विशेषकर पर्यटन पर, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्‍सा है.

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भारत और मालदीव के बीच पिछले कुछ समय से चल रहा कूटनीतिक तनाव
नई दिल्‍ली:

मालदीव में सत्‍ता परिवर्तन के साथ ही भारत से रिश्‍तों में भी बदलाव आना शुरू हो गया. चीन अब मालदीव के करीब आ रहा है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है. ऐसे में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने शुक्रवार को भारत के बहिष्कार पर चिंता व्यक्त की. पूर्व राष्‍ट्रपति नशीद इस समय भारत में हैं, उन्‍होंने मालदीव के लोगों की ओर से माफ़ीनामा भी जारी किया. भारत और मालदीव के बीच पिछले कुछ समय से चल रहा कूटनीतिक तनाव तब एक और निचले स्तर पर पहुंच गया, जब राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्हें चीन समर्थक माना जाता है, उन्‍होंने 10 मार्च तक सभी भारतीय सैन्यकर्मियों को देश से बाहर निकालने की योजना की घोषणा कर दी.

भारत के बहिष्कार से मालदीव में विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ रहा है, विशेषकर पर्यटन पर, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्‍सा है. समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से नशीद ने कहा, "मैं भारत के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि अपनी छुट्टियों पर मालदीव आइए, हमारे आतिथ्य में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा. भारत के बष्हिकार करने से मालदीव पर बहुत प्रभाव डाला है और मैं इसे लेकर बहुत चिंतित हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मालदीव के लोगों को खेद है... हमें खेद है कि ऐसा हुआ है." 

नशीद ने ऐसे मामलों से निपटने में भारत के ऐतिहासिक दृष्टिकोण को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत ने दबाव डालने के बजाय एक राजनयिक चर्चा का प्रस्ताव रखा. उन्‍होंने कहा, "जब मालदीव के राष्ट्रपति चाहते थे कि भारतीय सैन्यकर्मी चले जाएं, तो आप जानते हैं कि भारत ने क्या किया? उन्होंने अपनी बांहें नहीं मोड़ीं. उन्होंने कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि मालदीव की सरकार से कहा, 'ठीक है, चलो इस पर चर्चा करें."

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मालदीव और चीन के बीच हालिया रक्षा समझौते पर नशीद ने इसे रक्षा समझौता नहीं, बल्कि उपकरणों की खरीद बताते हुए खारिज कर दिया. उन्‍होंने कहा, "मुझे लगता है कि मुइज्जू कुछ उपकरण खरीदना चाहता था, मुख्य रूप से रबर की गोलियां और आंसू गैस. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सोचा कि अधिक आंसू गैस और अधिक रबर की गोलियों की जरूरत है. उसको समझना चाहिए कि शासन बंदूक की नली के माध्यम से नहीं होता है."

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्रों के बीच गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं और उन्होंने राजनयिक माध्यमों से विवाद को सुलझाने की इच्‍छा व्यक्त की थी. जयशंकर ने कहा, "मानवता ही मानवता है. कूटनीति ही कूटनीति है और राजनीति ही राजनीति है. पूरी दुनिया हमेशा दायित्व के साथ नहीं चलती...इसलिए अगर हमने ऐसी स्थिति का सामना किया है, तो समाधान कूटनीति के माध्यम से ही निकलेगा."

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इससे पहले, मालदीव ने घोषणा की थी कि वह उस समझौते का विस्तार नहीं करेगा, जिसने भारत को मालदीव के साथ मिलकर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी. बता दें कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने स्थापित परंपरा को तोड़ते हुए अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर भारत का दौरा न करने का विकल्प चुना, इसके बजाय उन्होंने तुर्की और फिर चीन का दौरा करने का विकल्प चुना.

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