महाराष्ट्र में कांग्रेस, शरद, उद्धव में सीटों की खींचतान, फिर बदला फॉर्मुला, जानें अब किसको कितनी सीटें

महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi Seat Sharing) के तीनों दलों के भीतर पहले 85-85-85 के फॉर्मुले पर सहमति बनी थी. लेकिन 15 सीटों पर पेच फंसा हुआ था. सीटों के लेकर चल रही खींचतान के बाद अब सीट शेयरिंग का अब नया फॉर्मुला सामने आया है. पढ़िए राम शिंदे की रिपोर्ट.

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महा विकास अघाड़ी में नए सीट शेयर फॉर्मूले पर मुहर.

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में सीटों (Maha Vikas Aghadi Seat Sharing) का तोलमोल लगातार जारी है. बुधवार को आए 85-85-85 वाले सीट शेयरिंग फॉर्मुले को बदलते हुए अब नया फॉर्मूला सामने आया है. कांग्रेस, 102 से 104, उद्धव ठाकरे की शिवसेना 90 से 95 और शरद पवार की एनसीपी 70 से 75 सीटों  पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि पहले महाविकास अघाड़ी के तीनों दलों के भीतर 85-85-85 के फॉर्मुले पर सहमति बनी थी. लेकिन 15 सीटें पर पेच फंसा हुआ था. सीटों के लेकर चल रही खींचतान के बाद अब सीट शेयरिंग का अब नया फॉर्मुला सामने आया है.

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MVA में सीटों पर खींचतान

महाराष्ट्र में 288 सीटों पर 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होना है. महायुति में सीटों के बंटवारे पर सहयोगी दलों के साथ सहमति पहले ही बन चुकी है. अब महा विकास अघाड़ी की बारी है. हालांकि सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. सहयोगी दलों के बीच सीटों पर खींचतान चल रही है. पहले अलग फॉर्मुला सामने आया था और आज फिर से नया फॉर्मुला सामने आया है.

महा विकास अघाड़ी में नया सीट शेयरिंग फॉर्मूला

सीटों को लेकर चल रहे विवाद को लेकर सहयोगी दल शरद पवार के पास पहुंचे थे. उन्होंने ही नए फॉर्मुले में मदद की है. कई ऐसी सीटों थीं जिन पर कांग्रेस की नजर थी. लेकिन शिवसेना इनको देने के लिए राजी नहीं थी. अब सीटों का नया फॉर्मुला सामने आया है.

कांग्रेस-शिवसेना के बीच इन सीटों पर था पेच

 गढ़चिरौली,अरमोरी, गोंदिया, चिमूर, भंडारा, बल्लारपुर, रामटेक,चंद्रपुर, कामठी, अहेरी, दक्षिण नागपुर और  भद्रावती वरोरा सीट पर पेच फंसा हुआ था. बीजेपी ने पिछले चुनाव में बल्लारपुर,चिमूर, कामठी और दक्षिण नागपुर सीट पर  जीत हासिल की थी. वहीं चंद्रपुर,गोंदिया, रामटेक विधानसभा सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गई थीं. सिर्फ भद्रावती सीट ही कांग्रेस के पास है.अब जब सीट बंटवारे की बारी आई तो शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस, दोनों ही इन सीटों पर दावा ठोंकने लगे. इस पर दोनों के बीच विवाद हो गया. वहीं शिवसेना मुंबई की वे सीटें की भी मांग रही थी, जिन पर कांग्रेस कभी नहीं जीती. 

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