जल जीवन मिशन योजना के ठेकेदार आत्महत्या मामले पर भाई ने कहा, 'सरकार समय से नहीं दे पाई पैसे'

मृत ठेकेदार के भाई अजित कहते हैं कि, 'बहुत दुखद घटना है, सरकार को गंभीरता से इसे लेना चाहिए. सब कांट्रेक्टर के बिल अदा करने के लिए सरकार को कुछ खास उपाए करने चाहिए.

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  • सांगली के तंदूरवाड़ी में 35 वर्षीय ठेकेदार हर्षल पाटिल ने फांसी लगाकर आत्महत्या की
  • मृतक के भाई ने सरकार से ठेकेदारों के बिल भुगतान के लिए गंभीर कदम उठाने का आग्रह किया है
  • भाई ने बताया हर्षल पाटिल 10 सालों से ठेकेदारी कर रहा था और पिछले डेढ़ साल से उसकी भुगतान राशि अटकी थी
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Contractor Committed Suicide: सांगली में वालवा तालुका के तंदूरवाड़ी में 35 वर्षीय हर्षल पाटिल नामक एक ठेकेदार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है की जल जीवन मिशन योजना का काम पूरा करने के एक साल बाद भी उसे पैसे नहीं मिले थे, इसलिए उसने खुदकुशी की. सरकार पर उसका 1 करोड़ 40 लाख रुपये बकाया था. मृत ठेकेदार के भाई अजित पाटिल ने एनडीटीवी से कहा कि, बहुत दुखद घटना है, सरकार को गंभीरता से इसे लेना चाहिए.

'दस साल से कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार कर रहा था'

अजित पाटिल आगे कहते हैं कि, 'हर्षल बीते दस साल से कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार कर रहा था. साल 2020 से हर घर जल केंद्र शासन की योजना के तहत काम कर रहा था. शुरुआत में बड़े कांट्रेक्टर के नीचे वो सब-कांट्रेक्टर के तौर पर था. करीब-करीब डेढ़ साल से उसका पैसा सरकार के पास अटका हुआ था, जिसकी वजह से उसकी कुछ देनदारियां थीं, जो वो चुका नहीं पाया और उसकी वजह से उसने आत्महत्या की है.'

'सरकार को गंभीरता से इसे लेना चाहिए'

मृत ठेकेदार के भाई अजित कहते हैं कि, 'बहुत दुखद घटना है, सरकार को गंभीरता से इसे लेना चाहिए. सब कांट्रेक्टर के बिल अदा करने के लिए सरकार को कुछ खास उपाए करने चाहिए. एक करोड़ से ज़्यादा की रकम हर्शल को सरकार से मिलनी है. मेन कांट्रेक्टर को पैसे मिलने थे और उनके जरिए हर्शल को पैसे आने थे. उसने काम को चालू रखने के लिए बैंक और दूसरे लोगों से कर्ज़ लिया था, जिसे वो चुका नहीं पाया और उसकी वजह से सुसाइड कर लिया.'

कुराल पुलिस स्टेशन के सहायक पुलिस निरीक्षक विक्रम पाटिल ने बताया कि मामले की आगे की जांच की जा रही है. आत्महत्या का सही कारण अभी स्पष्ट नहीं है, जांच जारी है. हाल ही में खबर बड़ी हुई थी महाराष्ट्र में ठेकेदारों का करीब 90 हजार करोड़ रुपये का बिल पेंडिंग है. इस बीच कई बार सवाल उठते रहे हैं कि क्या सरकार कि तिजोरी खाली है? 

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