महाराष्ट्र चुनाव में धर्म का मुद्दा कितना कारगर, क्यों बीजेपी दे रही ज़ोर

एमवीए का फॉर्मूला भी तय है. विदर्भ में गठबंधन दलित-मुस्लिम-कुनबी पर काम कर रहा है जबकि बाकी हिस्सों में मराठा-मुस्लिम-दलित के फॉर्मूले पर काम कर रहा है . इधर, मनोज जरांगे मराठा आरक्षण को लेकर कई बार अनशन कर चुके हैं. संभव है बीजेपी और महायुती को मराठा नाराजगी झेलनी पड़े. महाराष्ट्र में, 29 अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित सीटें हैं. महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत दलित हैं. 

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महाराष्ट्र में चुनावी सभा में पीएम मोदी.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र चुनाव में सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. यहां पर बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी वाला गठबंधन महायुती और कांग्रेस-एनसीपी(SP)-शिवसेना (UBT) वाला एमवीए गठबंधन प्रमुख रूप से लड़ाई में है.  बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान जैसे कई दिग्गज लोगों के बीच पहुंचे हैं. बीजेपी शासित राज्यों से मुख्यमंत्री जैसे योगी आदित्यनाथ, मोहन यादव, हिमंता बिस्वा सरमा आदि प्रमुख रूप में राज्य में प्रचार कर रहे हैं. बीजेपी ने इस बार मुखर होकर धर्म का मुद्दा उठाया है. जहां महायुती बीजेपी के साथ बटेंगे तो कटेंगे का एजेंडा जनता तक पहुंचाने में लगी है वहीं, कांग्रेस के साथ एमवीए अपने पुराने फॉर्मूला में काम कर रहा है.

हिंदू वोट एकजुट करने में लगी बीजेपी

बीजेपी ने इस बार एमवीए के प्रमुख घटक शिवसेना को ज्यादा निशाने पर लिया है. बीजेपी का मानना है कि वह यदि हिंदू वोट एकजुट कर लेती है तो उसकी जीत पक्की है. बीजेपी ने पिछले कुछ चुनावों में यह देख लिया है कि मुस्लिम वोट बीजेपी के खाते में न के बराबर ही आता है. ऐसे में पार्टी खुलकर हिंदुत्व वाला कार्ड खेल रही है. राज्य में 11.24 करोड़ की कुल आबादी में 11.56 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य की कुल 288 सीटों में से 38 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का सीधा असर है. इन सीटों पर मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. राज्य की 9 सीटें ऐसी हैं जहां पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं.

मालेगांव में 78.4 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इसके अलावा मुंबादेवी (50.9 फीसदी), भिवंडी वेस्ट (49.5 फीसदी), अमरावती (46.5 फीसदी) और कोला वेस्ट (41.6 फीसदी) मु्स्लिम आबादी है. 

क्या हुआ 2019 में

2019 के चुनाव में इन मुस्लिम बहुल 38 सीटों में से 11-11 पर बीजेपी और कांग्रेस को जीत मिली थी. नौ सीटों पर शिवसेना को जीत मिली थी. एनसीपी को तीन, सपा और एआईएमआईएम को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी. मुस्लिम बहुत 38 सीटों पर केवल यहां केवल आठ मुस्लिम उम्मीदवार चुने गए थे. गौर करने की बात यह है कि सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाली 10 सीटों में से कांग्रेस, शिवसेना, एसपी को दो-दो सीटें मिली थीं.

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2024 में क्या हुआ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनाव में 38 में से 20 सीट पर बीजेपी के वोट शेयर बढ़े हैं. एक अन्य रिपोर्टी में बताया गया है कि मानखुर्द, भिवंडी वेस्ट, बाइकुल्ला, औरंगाबाद सेंट्रल, अकोला, परभणी और बीड़ विधानसभा क्षेत्रों में महायुती के वोट शेयर में 10 फीसदी की गिरावट आई है.

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उलेमा बोर्ड की मांग

अब स्थिति साफ हो गई है कि राज्य की मुस्लिम आबादी कितनी है और कितनी सीटों पर पकड़ रखती है. ऐसे में बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड खेलने का मकसद साफ समझ में आता है. उधर, एमवीए के लिए अब चुनाव से ठीक पहले  ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की मांग कहीं मुसीबत न बन जाए. ऑल इंडिया उलमा बोर्ड (एआईयूबी) ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को समर्थन देने के लिए मुस्लिमों को 10 फीसदी आरक्षण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध व वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध समेत 17 मांगें रख दी हैं. बोर्ड ने एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को चिट्ठी लिखी है. एआईयूबी ने महाराष्ट्र के 48 जिलों में मस्जिद, कब्रिस्तान और दरगाह की जब्त जमीन को आयुक्त के जरिये सर्वे कराने का आदेश दिए जाने की मांग भी रखी है. 

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महाराष्ट्र और हिंदू कार्ड

महाराष्ट्र के बारे में पहले से ही कहा जाता है कि वहां पर हिंदुत्व कार्ड चलता रहा है. शिवसेना को स्थापित करने वाले बाला साहेब ठाकरे ने राज्य में पहले से ही खुलकर हिंदुत्व कार्ड के प्रयोग की शुरुआत कर दी थी. अब शिवसेना यूबीटी कांग्रेस के साथ है. उसके लिए बीजेपी के हिंदुत्व और सावरकर को लेकर किए गए हमले को लेकर जवाब देना मुश्किल होगा. बीजेपी प्रचार के बचे हुए दिनों में  इस मु्द्दे को और गर्माने के मूड में है. 

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क्या हैं मुद्दे

दोनों ही गठबंधनों ने चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं, किसान, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों पर फोकस किया है. लेकिन चुनावी एजेंडा हिंदुत्व ही बना हुआ है. बीजेपी की ओर से बंटेंगे तो कटेंगे और धारा 370 मुद्दा है. वहीं, कांग्रेस जाति जनगणना, संविधान बचाने, दलितों और मुस्लिमों को लोगों के बीच अपनी उम्मीद तलाश रही है. 

फडणवीस का वोट-जेहाद

पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी नारे को आगे बढ़ाया है और कहा है कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों का आपस में बांटने का आरोप लगाया है. पिछड़ों और दलितों को बीजेपी समझा रही है कि कांग्रेस आरक्षण छीन लेगी. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कह दिया है कि महाराष्ट्र में वोट जिहाद का मुकाबला वोटों के धर्मयुद्ध से है. उन्होंने संभाजीनगर में आयोजित सभा में कहा कि कैसे धुले, मालेगांव में लोकसभा चुनाव में वोटों के बंटने से बीजेपी की हार हुई थी.

महाराष्ट्र की आबादी में साल 2011 की जनगणना के अनुसार मराठा लगभग 32 प्रतिशत हैं, दलित 14, मुस्लिम 11.56 प्रतिशत और आदिवासी 9.35 प्रतिशत हैं. यह कुल आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हैं और इसलिए राजनीति के केंद्र में हैं.

हिंदुत्व पर क्यों है जोर

बीजेपी इस बार हिंदुत्व पर क्यों जोर दे रही है उसका राज इसी आंकड़े में छिपा है. लोकसभा के चुनाव में एमवीए के वोट शेयर 44 प्रतिशत तक पहुंच गया था और 48 में से 30 सीटें जीत गया था. वहीं, महायुती को केवल 17 सीटें ही मिली थीं.

एमवीए का फॉर्मूला

एमवीए का फॉर्मूला भी तय है. विदर्भ में गठबंधन दलित-मुस्लिम-कुनबी पर काम कर रहा है जबकि बाकी हिस्सों में मराठा-मुस्लिम-दलित के फॉर्मूले पर काम कर रहा है . इधर, मनोज जरांगे मराठा आरक्षण को लेकर कई बार अनशन कर चुके हैं. संभव है बीजेपी और महायुती को मराठा नाराजगी झेलनी पड़े. महाराष्ट्र में, 29 अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित सीटें हैं. महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत दलित हैं. 
 

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