महाराष्ट्र संकट को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि यह सारी हलचल मुख्यमंत्री पद को लेकर हो रही है. एनडीटीवी से विशेष बात करते हुए चव्हाण ने कहा, 'असली बात को मुख्यमंत्री पद को लेकर है. शायद एकनाथ शिंदे का विचार था कि जब सरकार बनेगी तो उन्हें सीएम पद सौंपा जाएगा. लेकिन जब तीनों दल (शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी) साथ में बैठे थे, तब एनसीपी और कांग्रेस की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि सरकार चलानी है तो उद्धव ठाकरे को ही मुख्यमंत्री पद स्वीकार करना होगा. हालांकि, उनकी कोई अंदरूनी बातचीत हुई थी या फिर कोई वादा किया गया थो, उसके बारे में हमें नहीं पता. एकनाथ शिंदे को लगता है कि मुख्यमंत्री बनने का मेरा चांस था, लेकिन मुझे नहीं बनाया गया.'
जब चव्हाण से पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी रहेगी? इस पर उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस दिल्ली गए थे और अमित शाह से मुलाकात की थी. अभी महाराष्ट्र में जो हो रहा है, उसका संचालन दिल्ली से हो रहा है. गुजरात सरकार को निर्देश दिए जा रहे हैं. केंद्र सरकार और गुजरात सरकार मिलकर इसके अंजाम दे रहे हैं. मुझे लगता है कि शिवसेना ने शिंदे के खिलाफ जो भी कदम उठाए हैं, वो सदन में विधायक दल के नेता थे, उन्हें हटा दिया गया है. इसके बाद अब बातचीत का रास्ता खत्म हो चुका है.
चव्हाण से पूछा गया कि शिंदे का कहना है कि वे कांग्रेस के साथ सरकार में नहीं रहना चाहते, क्योंकि शिवसेना की विचारधारा हिंदुत्व है. इस पर उन्होंने कहा कि ढाई साल उन्होंने सरकार में काम किया, अब जाकर उन्हें हिंदुत्व याद आ रहा है. अगर वो एनसीपी और कांग्रेस के साथ नहीं बैठना चाहते हैं तो साफ है कि वो भाजपा के साथ हैं. वो भाजपा के साथ जरूर जाएं. अगर छोड़कर जाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होगा. यह उनकी निजी फैसला है. अब यह उद्धव ठाकरे पर है कि वे अपनी पार्टी के मामले को कैसे सुलझाते हैं.
इसके साथ ही चव्हाण ने राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में खरीद-परोख्त का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि दोनों चुनाव में बड़े लेवल पर खरीद-परोख्त हुई है. हालांकि, कांग्रेस भी जांच कर रही है कि कहीं उनकी पार्टी के विधायक भी तो इसमें शामिल नहीं थे.
बता दें, महाराष्ट्र में शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों को लेकर सूरत के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं. इस कदम से राज्य की महा विकास आघाडी (एवीए) सरकार की स्थिरता सवालों के घेरे में आ गई है. इस सियासी संकट को सुलझाने के लिए शिवसेना पूरी कोशिश कर रही है.