महाराष्ट्रः मासूमों पर गहराया कोरोना संकट, 43 दिनों में 76 हजार से ज्यादा बच्चे हुए संक्रमित

देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र (Maharashtra) में मासूम बच्चे भी सुरक्षित नहीं है. राज्य में बीते 43 दिनों में 10 साल से कम उम्र के 76,401 बच्चे कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित पाए गए हैं.

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महाराष्ट्र में बच्चों पर गहराया कोरोना संकट।
मुंबई:

देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र (Maharashtra) में मासूम बच्चे भी सुरक्षित नहीं है. राज्य में बीते 43 दिनों में 10 साल से कम उम्र के 76,401 बच्चे कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित पाए गए हैं. 2021 में 1 जनवरी से 12 मई तक 10 साल की उम्र से नीचे 1,06,222 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. बच्चों पर महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अस्पतालों में नवजात बच्चों के लिए ICU बनाए जा रहे हैं. राज्य में बीते साल 2020 में 67,110 बच्चे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है. बच्चों पर मंडराते खतरे का आंदेशा भांपते हुए महाराष्ट्र के अस्पताल पहले से सचेत हो गए हैं और अभी से तैयारी में जुट गए हैं. महाराष्ट्र में डॉक्टरों का कहना है कि करीब 70% बच्चों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है, पर एंटीबॉडी पॉज़िटिव है. ऐसे बच्चे गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंच रहे हैं.

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आठ महीने के मासूम मुस्तफा को महामारी ने घेरा

आठ महीने का मुस्तफा बीते आठ दिनों से बीमार है. उसे मुंबई के के.जे सोमाया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. कुछ दिन तक वह वेंटिलेटर पर रहा. मुस्तफा कोविड निगेटिव है पर ऐंटीबॉडी पॉजिटिव है. बच्चे को मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमैट्री सिंड्रोम (Multisystem inflammatory syndrome) नाम की ऐसी तकलीफ है जो कोविड संक्रमण के कुछ समय बाद होती है. उसकी हालत में पहले से सुधार है. मुस्तफा की मां नजमा ने बताया कि पहले उनके बच्चे को खांसी बुखार की परेशानी थी. आठ दिन से पहले भी दिक्कत थी, पर इतनी नहीं थी. पास के अस्पताल में दिखाया दवा ली फिर भी फायदा नहीं हुआ. फिर मैं बच्चे को लेकर सोमाया अस्पताल आयी, अभी मेरा बच्चा पहले से काफी अच्छा है.

मुस्तफा चार दिन के रेस्पिरेटरी फेल्योर के साथ आया था

केजे सोमाया अस्पताल के PICU इंचार्ज व पीडीऐट्रिक इंटेंसिविस्ट डॉ इरफान अली ने बताया कि मुस्तफा चार दिन के रेस्पिरेटरी फेल्योर के साथ आया था. रेस्पिरेटरी रेट जहां 30-40 होना चाहिए था, इस बच्चे का 70-80 था. करीब 80% सैच्युरेशन था. बच्चे को आते ही वेंटिलेटर पर डाला गया. बच्चे की हालत बहुत खराब थी, उसे स्टेरोईड देना शुरू किया गया. धीरे-धीरे बच्चे की कंडिशन इम्प्रूव हुई. अभी बच्चा नॉन इन्वेसिव वेंटिलेशन (Non Invasive Ventilation) सपोर्ट पर है.

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जल्दी जांच और इलाज ने मिले तो बच्चों के लिए खतरा

डॉ इरफ़ान अली ने बताया कि ऐसे बच्चों की संख्या बहुत बढ़ी है, 60-70% बच्चे फ़ीवर के साथ आ रहे हैं, डायरिया की शिकायत है, इचिंग, स्किन पर रैश, ये सब शिकायत के साथ आ रहे हैं. 60-70% बच्चे जांच में कोविड ऐंटीबॉडी पॉज़िटिव आ रहे हैं. ये MIS-C कैटेग्री के बच्चे हैं जिसके तीन टाइप होते हैं. पहला- माइल्ड फ़ीवर, दूसरे में हाई फ़ीवर, हाई इन्फ़्लेमैट्रा साइन और तीसरे कैटेग्री में बच्चा बुरे कंडिशन हाई शॉक के साथ आता है. ऐसे में बीपी (Blood Pressure) बहुत कम होता है, जल्दी जांच और इलाज नहीं मिले तो बड़ा खतरा रहता है. हाई स्टेरोईड देना पड़ता है, वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ता है.

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नवजात बच्चों के लिए तैयार हो रहा ICU

सोमाया अस्पताल में नवजात बच्चों के लिए Newborn intensive care unit(NICU) तैयार किया गया है. बड़ों के मुक़ाबले बच्चों के अस्पताल और ICU बेड बेहद कम हैं. ऐसे में बच्चों में बढ़ते मामले और तीसरी लहर की तैयारी के लिए बच्चों के ICU बेड बढ़ाने शुरू हो गए हैं. एक्स्पर्ट्स की हिदायत है, नन्हें बच्चे अपनी तकलीफ़ बयां नहीं कर सकते, इसलिए कोविड रिपोर्ट और जांच पर नहीं बल्कि बच्चों में दिख रहे हल्के लक्षण पर ही सावधान हों और फ़ौरन डॉक्टर से सम्पर्क करें.

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