उद्धव ठाकरे से मिले कांग्रेस नेता, भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का दिया न्योता

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई. लगभग 3,500 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह जम्मू-कश्मीर में समाप्त होने वाली है.पैदल मार्च का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अब तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक को कवर किया है और आंध्र प्रदेश में भी प्रवेश किया है.

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महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी एचके पाटिल ने वरिष्ठ नेताओं के साथ उद्धव ठाकरे से मुलाकात की.

शिवसेना (Shiv Sena) नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को आज कांग्रेस की ओर से पार्टी की चल रही ‘भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) मार्च में शामिल होने का न्योता मिला. महाराष्ट्र कांग्रेस (Congress) के प्रभारी एचके पाटिल ने वरिष्ठ नेताओं अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट के साथ सोमवार को मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 6 नवंबर को महाराष्ट्र में प्रवेश कर रही है. कांग्रेस नेताओं ने उसी दिन ठाकरे को इस मार्च में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है.

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई. लगभग 3,500 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह जम्मू-कश्मीर में समाप्त होने वाली है.पैदल मार्च का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अब तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक को कवर किया है और आंध्र प्रदेश में भी प्रवेश किया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के अगले महीने महाराष्ट्र में प्रवेश करने पर भारत जोड़ो यात्रा का स्वागत करने की उम्मीद है.

भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत में ही उद्धव ठाकरे ने इसका समर्थन किया था. ठाकरे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस से आज भी डर लगता है. इसके अलावा पार्टी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद पर भी निशाना साधा. ठाकरे ने कहा कि दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं. 

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बता दें कि महाराष्‍ट्र में 2019 में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी थी. इस गठबंधन को एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिला था. हालांकि, तब से उद्धव की शिवसेना बाल ठाकरे की शिवसेना से बिल्‍कुल अलग दिखने लगी. यह शिवसेना के कार्यकर्ताओं को बिल्‍कुल रास नहीं आया. गठबंधन सरकार में शिवसेना को सीएम पद मिला, लेकिन रिमोट कंट्रोल एनसीपी के हाथों में रहा. शिवसेना के व‍िधायक तमाम शिकायतें करते रहे. 

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यह और बात है कि इन पर कुछ भी नहीं हुआ. जुलाई में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने बगावत कर दिया. बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने बीजेपी से हाथ मिला लिया. अब राज्य में शिंदे बीजेपी सरकार के साथ गठबंधन सरकार चला रहे हैं.

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