महाभारत काल्पनिक नहीं! सनौली में मिले रथ और कंकाल के अध्ययन के बाद ASI का दावा

2018 में बागपत के सनौली गांव में पहली बार घोड़े से चलने वाला रथ, नौ कंकाल और युद्ध के तलवार मिले थे, जिसे हड़प्पाकालीन सभ्यता से जोड़ा गया था, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दावा किया है कि खुदाई में मिले ये कंकाल और सामान चार हजार साल पुराने हैं. 

Advertisement
Read Time: 20 mins
नई दिल्ली:

2018 में बागपत के सनौली गांव में पहली बार घोड़े से चलने वाला रथ, नौ कंकाल और युद्ध के तलवार मिले थे, जिसे हड़प्पाकालीन सभ्यता से जोड़ा गया था, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दावा किया है कि खुदाई में मिले ये कंकाल और सामान चार हजार साल पुराने हैं. शव को दफनाने और उसके पास रखे युद्ध के सामान इस बात के संकेत हैं कि ये महाभारतकाल के हैं. पुरातात्विक खुदाई से जुड़े रहे और ASI के डायरेक्टर संजय कुमार मंजुल कहते हैं कि सालभर पहले मैं ये नहीं कह सकता था, लेकिन कई सारे साइंटिफिक निष्कर्षों और जगहों के आधार पर इस बात के संकेत मिलते हैं कि ये महाभारतकालीन साइट है.  

सनौली में मिले पुरातात्विक अवशेष दिखाएंगे पांच हजार साल पुराना समाज

वे कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में 25 अलग अलग जगहों से योद्धा लड़ने आए थे, मसलन गंधार जो आजकल कंधार, पानीपत, बरनावा, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ, दिल्ली आदि जगहों का उल्लेख कई वेदों में भी मिलता है जो आज भी मौजूद है. हड़प्पा काल के सामानांतर ये सभ्यता चल रही थी जो महाभारत काल के समकक्ष थे क्योंकि जो वेदों में शव के दाह संस्कार के उल्लेख हैं और जगह का उल्लेख है वो सनौली की खुदाई में मिली चीजों से मेल खाते हैं. इसी के आधार पर हम कह रहे हैं कि ये महाभारत कालीन थे. हालांकि इतिहासकार पुरातत्वविदों के इस दावे से इत्तफाक नहीं रखते हैं. उनका कहना हैं कि भाषा के आधार पर इसमें कई विरोधाभास है.  

Advertisement

पांच हजार साल पुरानी कब्रगाह क्यों है एतिहासिक खोज?

पहली बार मिले युद्ध रथ से सभ्यता की पहेली सुलझाने का दावा
सनौली में मिले युद्ध रथ की मेसोपोटामिया, ग्रीस और चीन में मिले रथ से तुलना करते हुए ASI के डायरेक्टर संजय मंजुल कहते हैं कि ग्रीक और मेसोपोटामिया में मिले रथ युद्ध रथ नहीं थे बल्कि इनका इस्तेमाल सामान ढोने के लिए होता था. लेकिन सनौली में मिला रथ युद्ध रथ था क्योंकि ये घोड़े से चलने वाला हल्का रथ था. ASI ने अपने इस दावे को पेश करते हुए कई CT स्कैन और एक्स-रे करवाने का दावा भी किया. अभी कुछ दिन पहले राखीगढ़ी में मिले अवशेष का DNA रिपोर्ट के आधार पर ASI ने खुलासा करते हुए कहा था कि आर्य ग्रीस या मध्य एशिया से नहीं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के थे. यहीं से वे मध्य एशिया गए थे. अब ASI का ये कहना है कि महाभारत काल्पनिक लड़ाई नहीं है, बल्कि पहली बार इसके प्रमाण सनौली में मिले ये, उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हैं. हालांकि पुरातात्विकविद् और इतिहासकारों में इस बात को लेकर बहुत विरोधाभास है.   

Advertisement

बागपत में मिली हड़प्पाकाल की सबसे बड़ी कब्रगाह, शव के साथ सोने-तांबे की ज्वेलरी और शस्त्र भी मिले

Advertisement

VIDEO : सनौली में मिली 5000 साल पुरानी कब्रगाह

Featured Video Of The Day
Adani Foundation ने Andhra Pradesh में Launch किया Project SuPoshan, कुपोषित बच्चों की करेगी मदद
Topics mentioned in this article