VIDEO: गले में पहनी शिकायतों की माला, रेंगते हुए पहुंचा कलेक्टर ऑफिस, फिर मांगा न्याय

मुकेश प्रजापत का आरोप है कि वो पिछले 7 साल से कलेक्टर कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. इस दौरान जनसुनवाई में दर्जनों बार उन्होंने शिकायत का आवेदन दिया, कलेक्टर बदल गए, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ.

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नई दिल्ली:

देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या रही है. तमाम राज्यों में भ्रष्टाचार और लालफीताशाही की समस्याओं से लोग जूझते रहे हैं. अपनी शिकायतों के निपटारे नहीं होने के कारण लोग तरह-तरह से विरोध करते रहे हैं. ऐसा ही एक विरोध मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के नीमच कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार को देखने को मिला. जिले की सिंगोली तहसील के गांव काकरिया तलाई निवासी मुकेश प्रजापत जमीन पर घिसटते हुए पांव में कागजातों के हजारों पन्ने लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. 

मुकेश प्रजापत का आरोप है कि वो पिछले 7 साल से कलेक्टर कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. इस दौरान जनसुनवाई में दर्जनों बार उन्होंने शिकायत का आवेदन दिया, कलेक्टर बदल गए, लेकिन उनकी शिकायत दूर नहीं हुई. 

मुकेश प्रजापत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वो सैकड़ों पुराने आवेदनों की माला को पहनकर जमीन पर घसीटते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हैं. कलेक्टर कार्यालय के बाहर गेट पर बैठकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाते हुए अपनी चप्पल सिर पर रखते हुए मीडिया के सामने कहा कि मोहन यादव अब तो मुझे न्याय दे दो... 7 वर्ष हो चुके हैं अब मैं खुद की चप्पल अपने सर पर रखकर न्याय की भीख मांगता हूं. 

यहां देखें वायरल वीडियो

मुकेश प्रजापत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वो सैकड़ों पुराने आवदनों की माला को पहनकर जमीन पर घसीटते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हैं. कलेक्टर कार्यालय के बाहर गेट पर बैठकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाते हुए अपनी चप्पल सिर पर रखते हुए मीडिया के सामने कहा कि मोहन यादव अब तो मुझे न्याय दे दो... 7 साल हो चुके हैं. अब मैं खुद की चप्पल अपने सिर पर रखकर न्याय की भीख मांगता हूं. 

मुकेश प्रजापत ने लगाया भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप
कलेक्टर को दिए एक आवेदन में मुकेश ने कहा कि कांकरिया तलाई एक ऐसी पंचायत है जो नीमच जिले में सबसे पिछड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि इस पंचायत का जो भी सरपंच बनता है उसकी तरक्की हो जाती है लेकिन पंचायत की हालत वैसी ही रह जाती है. पिछले 20 साल से वहां के हालत वैसे ही हैं. मेरे गांव का भविष्य खतरे में है.  

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