कांग्रेस (Congress) नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने बुधवार को कहा कि मध्य प्रदेश में 30 अक्टूबर को होने जा रहे उपचुनाव (MP Bypolls) से राज्य की भाजपा (BJP) सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे लोगों को भाजपा से उसके बड़े-बड़े दावों विशेषकर किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में सवाल पूछने का मौका जरूर मिला है. वह खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार के तहत बड़वाह शहर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव के तहत 30 अक्टूबर को मतदान होगा और दो नवंबर को मतों की गिनती होगी. यहां से भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व विधायक नारायण सिंह पूरणी को मैदान में उतारा है.
मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट के साथ तीन विधानसभा सीट-जोबट, रैगांव और पृथ्वीपुर के लिए भी उपचुनाव हो रहा है. चारों निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव प्रचार बुधवार शाम समाप्त हो गया. पायलट ने जनसभा में कहा, ‘‘हालांकि इस उपचुनाव से मौजूदा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन यह हमें भाजपा से सवाल पूछकर देश को संदेश देने का सुनहरा मौका देता है कि उसके द्वारा किए गए बड़े-बड़े वादों का क्या हुआ? क्या किसानों की आय दोगुनी हुई?''
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए किसान पिछले एक साल से (दिल्ली की सीमा पर) आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार के आंख-कान बंद हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में बिजली और उर्वरक का संकट है तथा अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानों की भाजपा सरकार को कोई चिंता नहीं है. राजस्थान के गुर्जर समुदाय में दबदबा रखने वाले पायलट ने कहा, ‘‘ भाजपा सरकार की इन काले कानूनों के जरिए कृषि मंडियों पर ताला लगाने की योजना है.''
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ लोगों ने लखीमपुर खीरी घटना की सच्चाई देखी है. वे (भाजपा) धर्म और भाषा के नाम पर लोगों को भड़काने में लगे हुए हैं जबकि कांग्रेस हमेशा भाईचारे के साथ लोगों को एकजुट करने में विश्वास रखती है.'' पायलट ने ईंधन, रसोई गैस, सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ महंगाई बढ़ रही है लेकिन सरकार फोटो और विज्ञापन प्रकाशित करने की राजनीति करने में व्यस्त है.'' उन्होंने कहा कि भाजपा ने भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात की, लेकिन देश की स्थिति को हर कोई जानता है और केवल कुछ पूंजीपति लाभान्वित हो रहे हैं जबकि किसान पीड़ित हैं.