इस साल 14 मार्च को होली का त्योहार पड़ रहा है. वहीं, साल का पहला चंद्रग्रहण भी इसी दिन लगने वाला है. यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसे "ब्लड मून" के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में सभी के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है कि चंद्रग्रहण का सूतक भारत में मान्य होगा नहीं? दरअसल, हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि पर शाम के वक्त होलिका दहन होता है, वहीं इसके अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है. इस साल 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी. लेकिन इस बार चंद्रग्रहण पर होली का साया पड़ रहा है.
कैसे होता है चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें, तो ये एक खगोलीय घटना है. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं, तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता है. इस घटना को ही चंद्रग्रहण कहते हैं. खगोलशास्त्रियों के लिए यह दिन काफी महत्व रखता है. इस दृश्य के हर पल की गणना करने के साथ वे इसे अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं.
कितने तरह के चंद्रग्रहण...
- जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है, तब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है. इस दौरान चंद्रमा कुछ-कुछ लालिमा लिये हुए दिखाई देता है.
- पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से को ढक लेती है, तब आंशिक चंद्रग्रहण होता है. इस दौरान चंद्रमा का एक हिस्सा लाल रंग का दिखाई देता है.
- जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक छोटे से हिस्से को ढक लेती है, तो उपच्छाया चंद्रग्रहण होता है. इस दौरान चंद्रमा थोड़ा धुंधला दिखाई देता है.
क्या भारत में दिखाई देगा ब्लड मून?
होली के दिन पड़ने वाले चंद्रग्रहण का समय सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 तक रहने वाला है. राहत की बात ये है कि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. इसका प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र के अलावा प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा. भारत में चंद्रग्रहण दिखाई नहीं देगा, क्योंकि चंद्रग्रहण भारतीय समय अनुसार दिन में घटित होने वाला है.
चंद्रग्रहण का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व
चंद्रग्रहण का ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है. धार्मिक दृष्टि से इसका कारण राहु-केतु माने जाते हैं. ज्योतिष के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है. राहु और केतु को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है. वहीं, कुछ का मानना है कि जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चंद्रग्रहण लगता है. 14 मार्च को लगने वाला यह चंद्रग्रहण कन्या राशि में होगा. इसलिए कन्या राशि के जातकों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि इस राशि से संबद्ध जातकों के लिए ये चंद्रग्रहण अशुभ फल देने वाला रहेगा.