गैस सिलेंडर (LPG Cylinder Price Rise) के दामों में जो वृद्धि हुई है, इसकी सबसे ज्यादा मार मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ रही है. ज्यादातर राज्यों में सिलेंडर की कीमत करीब 800 रुपये हो गई है. बीते एक महीने में सिलेंडर की कीमतों में तीन बार इजाफा किया गया है. राजस्थान (Rajasthan LPG Cost) की बात करें तो वहां सिलेंडर के दाम 798 रुपये हो गए हैं. फरवरी महीने की शुरुआत में सिलेंडर की कीमत 698 रुपये थी. राजस्थान की रहने वालीं भूरी देवी के पास गैस का सिलेंडर है लेकिन अब वो चूल्हे पर रोटियां बना रही हैं क्योंकि गैस पर रोटियां बनाने में गैस ज्यादा खर्च होती है.
भूरी देवी ज्यादातर सिलेंडर ब्लैक में खरीदती हैं. ब्लैक मार्केट में सिलेंडर 900 से 1000 रुपये में मिलता है लेकिन सिलेंडर की असल कीमतें भी कम नहीं है. दिसंबर से लेकर फरवरी तक इसकी कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ी है. हालिया बढ़ोतरी के बाद राजस्थान में सिलेंडर की कीमत 798 रुपये हो गई है. भूरी देवी के परिवार में पति और तीन बच्चे हैं. वह कहती हैं कि गैस के दाम बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में गैस के चूल्हे पर रोटियां बनाना महंगा पड़ता है. गैस ज्यादा खर्च होती है. वह आसपास से लकड़ी इकट्ठा कर चूल्हे पर रोटियां बनाती हैं.
भूरी देवी कहती हैं, 'चूल्हे पे रोटी बनाती हूं, कभी सब्जी भी बनाती हूं. एक सिलेंडर एक महीने भी नहीं चलता है. एक हजार रुपये का सिलेंडर लाते हैं.' सिलेंडर की बढ़ती कीमतों की बात करें तो 2 दिसंबर को राजस्थान में सिलेंडर की कीमत 648 रुपये थी. 15 दिसंबर को 50 रुपये बढ़ाए गए और कीमत हो गई 698 रुपये. जनवरी में दामों में बढ़ोतरी नहीं हुई. इसकी कसर फरवरी में निकाल दी गई. इस महीने तीन बार दाम बढ़ाए गए. 4 फरवरी को 25 रुपये, 14 फरवरी को 50 रुपये और फिर 25 फरवरी को 25 रुपये की वृद्धि की गई.
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सीता कुमारी के परिवार में 8 सदस्य हैं. हर महीने तीन सिलेंडर की जरुरत पड़ती है यानी गैस की बढ़ती कीमतों की वजह से उनके घर का सारा बजट बिगड़ गया है. वह कहती हैं, 'गैस के दाम भी बढ़ गए, पेट्रोल भी बढ़ गया, सैलरी भी कट गई, कैसे घर चलेगा.' घरेलू गैस के अलावा कमर्शियल सिलेंडर भी 1300 रुपये से बढ़कर 1600 रुपये पर पहुंच गया है. कोरोना महामारी से पहले समय से घरेलू गैस पर सब्सिडी लोगों के खातों में अपने आप आ जाती थी लेकिन सरकारी खर्च बढ़ गए हैं और ऐसे में सब्सिडी भी बैंक खातों में नहीं पहुंच रही है, जिसके चलते मध्यम वर्ग के परिवारों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है.
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