Explainer : मोदी का 'MY प्लान' लाएगा रंग? 400 के पार के लिए BJP का बनेगा सहारा?

बीजेपी के रणनीतिकारों ने यूपी की 80 और बिहार की 40 सीटों को साधने के लिए MY प्लान बनाया है. आइए जानते हैं क्या है MY प्लान (BJP MY Plan) और इससे बीजेपी को क्या हो सकता है फायदा:-

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बीजेपी के MY का मतलब 'मोदी-योगी' और 'मुस्लिम-योगी' है.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Elections 2024) की सरगर्मियां पूरे जोरों पर है. बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) समेत तमाम पार्टियां अपने वोट बैंक को मजबूत करने और विरोधी के वोटबैंक में सेंध लगाने की कवायद में लग गई है. बीजेपी ने अब विरोधियों के वोटबैंक में घुसपैठ करने की रणनीति को मूर्त रूप देना भी शुरू कर दिया है. राम-मय माहौल में बीजेपी के नेता खुलकर कह रहे हैं कि इस बार लोकसभा चुनावों में 400 के पार सीटें आएंगी. हालांकि, बीजेपी तो क्या किसी भी पार्टी के लिए ये आंकड़ा हासिल करना आसान काम नहीं है. तभी बीजेपी के रणनीतिकारों ने यूपी की 80 और बिहार की 40 सीटों को साधने के लिए MY प्लान बनाया है. आइए जानते हैं क्या है MY प्लान (BJP MY Plan) और इससे बीजेपी को क्या हो सकता है फायदा:-

दरअसल, समाजवादी पार्टी के MY फॉर्मूले की तर्ज पर यूपी में मिशन 80 को पार लगाने के लिए भारतीय जनता पार्टी भी MY फैक्टर लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में है. सपा का एसपी का MY, जहां 'मुस्लिम-यादव' है, वहीं बीजेपी के MY का मतलब 'मोदी-योगी' और 'मुस्लिम-योगी' है. इसी के साथ बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश में 18 लाख से अधिक पीएम आवास योजना के अल्पसंख्यक लाभार्थियों के दम पर इस लोकसभा चुनाव में जीत का लक्ष्य भेदने का काम करेगा. 

मुस्लिम और यादव दोनों ही समाज के वोटरों के लिए कहा जाता है कि वो मोटे तौर पर बीजेपी के विरोधियों को ही वोट करते हैं. जैसे अगर यूपी के मुसलमान और यादव हैं, तो ज्यादातर लोग समाजवादी पार्टी या कांग्रेस को वोट करते हैं. अगर बिहार के मुस्लिम या यादव हैं, तो वो आरजेडी और कांग्रेस के साथ जाना पसंद करते हैं. 

क्या कहते हैं आंकड़े?
CSDS के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी का मुस्लिम वोट शेयर 8% और यादव वोट शेयर 23% रहा. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी ने 2019 में यूपी में 62 लोकसभा सीट जीती थीं. दो उसकी सहयोगी दल अपना दल ने जीती थीं. बाकी 16 विपक्ष के पास थीं. बीजेपी का कुल वोट प्रतिशत 49.6% रहा.

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वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी का मुस्लिम वोट शेयर 6% और यादव वोट शेयर 21% रहा. बिहार की 40 सीटों में से बीजेपी को 17 सीटें मिली. पार्टी का कुल वोट प्रतिशत 23.6% रहा.

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यूपी की मुस्लिम बहुल सभी सीटों सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, नगीना, संभल, रामपुर, मुरादाबाद पर बीजेपी हारी थी. मेरठ, अलीगढ़, कैराना, मुजफ्फरनगर वगैरह सीटों पर भी बीजेपी को जीतने के लिए मेहनत करनी पड़ी थी. इसलिए 2024 में बीजेपी ने अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों को साधने की रणनीति पर कदम बढ़ाया हुआ है. उनमें भी पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने पर जोर है. 

बीजेपी को मिला रणनीति बदलने का फायदा
यूपी के निकाय चुनाव में बीजेपी को रणनीति बदलने का फायदा भी मिला. बीजेपी ने मुस्लिमों को साथ लगाया, इससे संभल, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, देवबंद जैसे मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी को उम्मीद से ज्यादा वोट मिला. उससे पहले उपचुनाव में रामपुर लोकसभा, रामपुर विधानसभा, स्वार विधानसभा मुस्लिम बहुल होने के बाद भी बीजेपी या बीजेपी गठबंधन जीता. ऐसे में रणनीतिकारों का मानना है कि बीजेपी अब मुस्लिमों के लिए अछूत नहीं रह गई है.

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बीजेपी ने बिछाई सियासी बिसात
बीजेपी ने यूपी और बिहार में इसी कड़ी में एक सियासी बिसात बिछाई है. यूपी में 'शुक्रिया मोदी भाईजान' के नाम से मुस्लिम समाज की महिलाओं में एक अभियान की शुरुआत की गई है. सोमवार को बीजेपी का ये अभियान लॉन्च हुआ. इसके साथ ही यादव मंच के एक कार्यक्रम में सोमवार को उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बगैर नाम लिए सपा पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "जो भगवान राम का नहीं हुआ, वो भगवान कृष्ण का कैसे होगा. और जो श्रीकृष्ण का नहीं हुआ, वो भला यदुवंशी कैसे हो सकता है?" बृजेश पाठक के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. 

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विपक्ष की आ रही प्रतिक्रियाएं
जिस तरीके से यूपी के यादव और मुस्लिम वोट बैंक में बीजेपी सेंध लगा रही है, उसपर उसी अंदाज में प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका ने कहा, "बीजेपी के लोगों को थोड़ा सा भी अपने कर्मों का ख्याल नहीं है. किसी मंच पर जाने और कोई नारा लगा देने से कुछ नहीं होता. कोई दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग कहां जवाब देंगे. जब यादव समाज के लोगों के साथ बर्बरता हुई, तब बीजेपी के लोग कहां थे?"

बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, "बीजेपी ने 'सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' का सिर्फ नारा नहीं दिया है, बल्कि सरकार की योजनाओं में बीजेपी इन सबकों साथ लेकर चल रही है. इसी कारण से जो लंबे समय तक देश में जाति-मजहब के समीकरण साधने का काम करते थे, उनके सभी समीकरण ध्वस्त हो गए हैं."

बीजेपी इन दिनों यादव समाज के लोगों को ये भी बताने की कोशिश कर रही है कि सत्ता में भागीदारी से ही समाज का भला हो सकता है. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में भी गिरिश यादव का मंत्रीपद दिया गया है. यूपी में यादवों की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली सपा राज्य में लगातार 4 चुनाव हार चुकी है.

बिहार में भी यादव समाज को साधने की कोशिश
अब बात बिहार की करते हैं. बीजेपी अपने इकलौते यादव सीएम यानी मध्य प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पटना भेज रही है. हालांकि, ये पार्टी का औपचारिक कार्यक्रम नहीं है. लेकिन 18 और 19 जनवरी को पटना में एक कृष्ण चेतना मंच के कार्यक्रम में मोहन यादव शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम में यादव समाज के लोग उनका सम्मान और अभिनंदन करेंगे. यानी लालू यादव के गढ़ में मोहन यादव का स्वागत और सम्मान होगा. इसे बीजेपी की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

इसी पूरे मामले पर आरजेडी प्रवक्ता नवल किशोर और बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण से NDTV ने बात की.

नवल किशोर ने कहा, "आरजेडी को एमपी के सीएम मोहन यादव के कार्यक्रम को किसी भी दृष्टिकोण से देखने की जरूरत नहीं है. किसी भी राज्य का सीएम कहीं भी जा सकता है. बुलाने वाले चाहे तो उन्हें कहीं भी बुला सकते हैं. अगर इसे राजनीतिक नजरिए से देखना चाहते हैं तो बीजेपी ने बिहार में कई यादवों को अध्यक्ष बनाकर देख लिया है. लेकिन इससे क्या फर्क पड़ा? फर्क इसलिए नहीं पड़ा, क्योंकि मंडल कमीशन लागू हुआ तो बीजेपी ने जनता दल की सरकार गिरा दी. देश को मालूम है कि BJP सिर्फ वोट साधने की बात करती है."

इसके जवाब में बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा, "लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के परिवारों की ही भागीदारी है. बाकी यदुवंशियों की भागीदारी कहीं नहीं है. बीजेपी ने हमेशा से सारे समाज को प्रतिनिधित्व दिया है."

अल्पसंख्यकों को समझाया जा रहा है कि बीजेपी के MY फैक्टर यानी मोदी-योगी का साथ उनका भला कर रहा हैं. बिना भेदभाव के योजना का लाभ देने पर सीएम योगी पर मुस्लिमों का भरोसा है.

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