नामांकन करने के लिए किसी उम्मीदवार को गाड़ियों के काफिले और गाजे-बाजे के साथ जाते हुए तो आपने जरूर देखा होगा, लेकिन क्या हो अगर कोई नामांकन करने के लिए अर्थी पर सवार होकर पहुंचे. आपको ये सुनने में जरा अजीब और हैरान करने वाला जरूर लगेगा लेकिन ये सच है. ऐसा हुआ गोरखपुर में. यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा मंगलवार को अर्थी पर सवार होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपना नामांकन भी किया. खास बात ये है कि अर्थी बाबा ने अपना चुनाव कार्यालय श्मशान घाट पर ही खोला हुआ है.
NDTV ने राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा से बुधवार को बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि वो चुनाव इस वजह से लड़ रहे हैं क्योंकि उनका व्यवस्था (सिस्टम) पर से विश्वास उठ चुका है. उन्होंने कहा कि देश में आज जो व्यवस्था है उसकी मौत हो चुकी है. क्योंकि जो भ्रष्ट नेता चुने जाते हैं वो सदन में पहुंचते तो हैं लेकिन कभी भी जनता के हक की आवाज नहीं उठाते. इस लिए मुद्दे भी श्मशान बन गए हैं. यही वजह है कि मैंने श्मशान घाट पर ही अपना कार्यालय भी बनाया है. मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए. अगरो कोई मुझे दान भी देना चाहेत तो मैं कहूंगा कि अगर दान करना है तो किसी को चिता के लिए लकड़ी दान करें, अगर दान ही करना है तो किसी जरूरतमंद को स्कूल की पढ़ाई के लिए फीस और ड्रेस दान कर दीजिए, कोई चाहें तो अस्पताल जाकर मरीजों को दवाई दान करें.
राष्ट्रपति पद के लिए लड़ना चाहते थे चुनाव
अर्थी बाबा ने कहा कि मैं तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के खिलाफ बतौर प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए तैयारी की थी लेकिन उस दौरान किसी भी विधायक या सांसद मेरा प्रस्तावक बनने को तैयार नहीं हुआ. और इसी वजह से मैं चुनाव नहीं लड़ सका.
MBA कर चुके हैं अर्थी बाबा
अर्थी बाबा के नाम से सुर्खियां बंटोर रहे राजन यादव ने एमबीए की डिग्री ली है. उन्होंने NDTV को बताया कि एमबीए की पढ़ाई गोरखपुर के एक कॉलेज से पूरी करने के बाद उन्हें विदेश में नौकरी करने का भी ऑफर था. लेकिन वह नहीं गए क्योंकि उनकी इच्छा थी कि वह समाज सेवा करें. समाजसेवा के भाव की वजह से ही वह अब चुनाव में उतरे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
अर्थी बाबा ने बताया कि वह वर्ष 2009 में योगी आदित्यनाथ ( मौजूदा मुख्यमंत्री) के खिलाफ भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. साथ ही उन्होंने देश के मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ के खिलाफ भी 2014 में पर्चा भरा था. हालांकि, जब लखनऊ से उनका पर्चा खारिज कर दिया गया तो वह 2014 में ही बनारस से पीएम मोदी के खिलाफ भी पर्चा भरने गए. हालांकि, उन्हें वहां से भी पर्चा नहीं भरने दिया गया. अर्थी बाबा ने बताया कि 2019 में वह अखिलेश यादव के खिलाफ भी चुनाव लड़ने की कोशिश कर चुके हैं.