लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) महाराष्ट्र में अपने NDA गठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को लेकर एक निष्कर्ष पर पहुंचती दिख रही है. BJP महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे और एनसीपी से सीट शेयिरंग पर बातचीत कर चुकी है और बस अब इसकी औपचारिक घोषणा होना बचा है. BJP राज्य में संतुलन को बनाते हुए MNS यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की भी NDA में एंट्री पर विचार कर रही है. यही वजह है कि BJP MNS को सीट शेयरिंग के तहत मनचाही सीट देने की चर्चाएं जोरों पर हैं. वहीं, राजनीति के जानकार मानते हैं BJP का यह कदम कहीं ना कहीं राज्य में उद्धव फैक्टर की काट के तौर पर देखा जाएगा. इन सब के बीच महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर राज ठाकरे कल रात ही दिल्ली पहुंच गए थे. उन्हें सीट शेयरिंग को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की.
तीन सीट चाहती है MNS
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अपनी मुलाकात से पहले राज ठाकरे ने कहा कि मुझे दिल्ली आने के लिए कहा गया था तो मैं दिल्ली आया हूं. देखिए आगे क्या होता है. हालांकि, इस मुलाकात के बाद राज ठाकरे ने मीडिया से कोई बात नहीं की है. MNS नेता संदीप देशपांडे ने कहा है कि वे जल्द ही बैठक में क्या कुछ हुआ इसके बारे में सभी से साझा करेंगे. उन्होंने कहा कि जो भी निर्णय लिया जाएगा वह व्यापक भलाई और मराठियों, हिंदुत्व और पार्टी के हित में होगा. बता दें कि MNS सीट शेयरिंग के तहत दक्षिण मुंबई, नासिक और शिरडी की सीट चाहती है.
MNS से क्यों संपर्क में है बीजेपी ?
भाजपा MNS से संपर्क क्यों कर रही है इसका जवाब इस बात में निहित है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य कैसे बदल गया है. पिछले आम चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. गठबंधन ने प्रतिद्वंद्वियों को हरा कर राज्य की 48 सीटों में से 41 सीटें जीत लीं. महीनों बाद, उसने राज्य चुनावों में एक और जीत हासिल की, लेकिन सत्ता साझा करने को लेकर मतभेद के कारण सेना को एनडीए से अलग होना पड़ा. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. लेकिन अभी और ड्रामा होना बाकी था.
शिवसेना से बकावत कर राज्य के सीएम बने थे शिंदे
2022 में, शिव सेना नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के अंदर एक बकावत की. जिसने उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा दिया. इसके बाद शिंदे सत्ता संभालने के लिए भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद हुई कानूनी लड़ाई में, उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह खो दिया और उनके खेमे का नाम शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) हो गया.
NCP में भी दिखी बकावत
आश्चर्यजनक रूप से इसी तरह, शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP उनके भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व में हुए बकावत के बाद टूट गई. NCP के दिग्गज नेता ने भी अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खो दिया और अब राकांपा (शरदचंद्र पवार) नामक गुट का नेतृत्व कर रहे हैं. इसलिए 2019 में सीधे मुकाबले से हटकर, महाराष्ट्र लोकसभा की लड़ाई अब एक बहुआयामी लड़ाई है, जिसमें एक तरफ भाजपा, NCP और शिवसेना हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस और शरद पवार और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे हैं.
इस वजह से बीजेपी के प्लान में MNS
भाजपा जानती है कि यह एक बेहद पेचीदा रास्ता है. और वह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण महाराष्ट्र में जोखिम लेने के मूड में नहीं है. ऐसा अगर हुआ तो बीजेपी का खुदका लक्ष्य जिसके तहत वो 370 सीटें जीतने की बात कर रही है, को हासिल करने में उसे दिक्कत हो सकती है. इसलिए उद्धव ठाकरे फैक्टर का मुकाबला करने के लिए, यह उनके चचेरे भाई राज ठाकरे से संपर्क किया है.
राज ठाकरे के लिए अहम है मौका
राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे से अपने मतभेद की वजह से 2006 में अपनी नई पार्टी का निर्माण किया था. MNS ने 2009 के चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 13 सीटें जीती थी. हालांकि, 2014 के चुनाव में MNS सिर्फ एक ही सीट जीत सकी.2019 में भी पार्टी को चुनाव में ज्यादा सफलता हाथ नहीं लगी. पिछले एक दशक में, राज ठाकरे ने मीडिया में अक्सर विवादास्पद टिप्पणियों के साथ राजनीतिक सुर्खियों में बने रहने के लिए स्ट्रगल किया है. जब शिव सेना टूट गई, तो वह पार्टी के संकट के लिए अपने चचेरे भाई को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ हो गए. उन्होंने एकनाथ शिंदे के प्रति भी गर्मजोशी दिखाई है और दोनों नेताओं के बीच कई मौकों पर मुलाकात हुई है.